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________________ મંગલ જ્ઞાન દર્પણ ભાગ-૧ श्री कुंदकुंदाचार्य देव प्रणीत [ 1 ] श्री समयसार टीका ૧૭ ब्र. शीतलप्रसादजी त्यागता। ...तैसे ही यह आत्मा भी अखंड ज्ञान स्वभाव है तथापि स्पर्श, रस, गंध, शब्द, नीला, पीला आदि वर्ण रुप ज्ञेय पदार्थों के विषयभेद से निर्विकल्प समाधि से भ्रष्ट अज्ञानी जीवोंको खंड खंड ज्ञानरूप प्रगट होता है । परंतु ज्ञानी जीवोंको तो यह आत्मा अखंड केवलज्ञान स्वरुप ही अनुभव में आता है। क्योंकि भेद ज्ञानसे यही भासता है कि ज्ञेय पदार्थों के आकारों को झलकाता हुआ भी यह आत्मा अपने गुण गुणी के अभेदपने से ज्ञान स्वभाव को नहीं [ गाथा-१७, पृष्ठ-१८ ] [A] भावार्थ- परद्रव्योंको में जानता हूँ ऐसा भी जो अहंकार है सो त्यागने योग्य है। सर्व परद्रव्यो से भी मोह करना स्वसंवेदन ज्ञान में बाधक है इस कारण ऐसी ममता भी त्यागने योग्य है निर्विकल्प होकर निज शुद्ध स्वरुप का ध्यान ही कार्यकारी है । यद्यपि आत्मा के ज्ञान स्वभाव में ज्ञेयोंका प्रतिभासपना होना उचित ही है तथापि उन ज्ञेयों प्रति जो ममत्व भाव सो स्वरुप समाधि में निषेधने योग्य है। मैं ज्ञाता हुं परद्रव्य ज्ञेय है यह विकल्प योग्य नहीं है। [ पृष्ठ - ३८, गाथा ४२ ] [A] विशेषार्थ- अर्थात् ज्ञानी आत्मीक सुख में तुप्त होता हुआ भोजन के मनोज्ञ पदार्थों की नहीं कामना करता हुआ जैसे दर्पण में बिंब जैसा का तैसा झलकता है। दर्पण उसमें राग व द्वेष नहीं करते है इसी तरह ज्ञानी भोजनादि पदार्थों का वस्तु स्वभाव से केवल ज्ञात ही रहता है । भावार्थ- जैसे दर्पण में सुरुप व कुरुप पदार्थ प्रकट होते है, दर्पण उनमें रागद्वेष नहीं करता ऐसे ज्ञानीके ज्ञानमें भोजनादि पदार्थ जैसे के तैसे झलकते है। ज्ञानी उनमें राग-द्वेष नहीं करता है । [ गाथा-२२५, पृष्ठ-१८७ ] [A] भावार्थ- इसी तरह सर्वज्ञ भी निश्चय से अपने स्व स्वरूप के ज्ञाता है उसी में तन्मय है, उनका स्वभाव स्व - पर ज्ञायक स्वरुप है इससे उनके ज्ञानमें सर्व ही ज्ञेय स्वयं झलकते है; वह जगत को जानते है यह कहना व्यवहार है। इस से यह बात कही गई कि निश्चय से आत्मा स्वयं सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्ररुप है। [ गाथा-३९४, पृष्ठ-३०३ ]
SR No.008263
Book TitleMangal gyan darpan Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhnaben J Shah
PublisherDigambar Jain Kundamrut Kahan
Publication Year2005
Total Pages469
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Education, & Religion
File Size3 MB
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