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________________ दार्शनिकों की मूलशाखायें-क्रियावाद, अक्रियावाद, विनयवाद और अज्ञानवाद २३७-२३९, पुण्डरीक दृष्टान्त २३९-२४०, दार्टान्तिक स्वरूप तज्जीवतच्छरीरवादी, पाञ्चमहाभूतिक, ईश्वरकारणिक तथा नियतिवादी नामक चार पुरुषजात का निरूपण २४२-२४५, पुण्डरीक का उद्धारक भिक्षु २४६ । तृतीय परिच्छेद भगवान् महावीर के पूर्वभव २५१-२६१ पहला और दूसरा भव २५१-२५२, बलाधिक की कथा २५१२५२, तीसरा और चौथा भव २५२-२५३, मरीचि की कथा २५३, पाँचवाँ भव २५४, कौशिक ब्राह्मण और आन्तरभव २५४, छठा और सातवाँ भव २५४, पुष्यमित्र और सौधर्मदेव २५४, आठवाँ और नवाँ भव २५४, अग्निद्योत और ईशानदेव २५४, दसवाँ और ग्यारहवाँ भव २५४, अग्निभूति और सनत्कुमारदेव २५४, बारहवाँ और तेरहवाँ भव २५४, भारद्वाज और माहेन्द्रदेव २५४, चौदहवाँ और पन्द्रहवाँ भव २५५, स्थावरद्विज और ब्रह्मदेव २५५, सोलहवाँ और सत्रहवाँ भव २५५, विश्वभूति की कथा २५५-२५६, अठारहवाँ और उन्नीसवाँ भव २५८२६०, त्रिपृष्ठ की कथा २५९, बीसवाँ, इक्कीसवाँ और बाईसवाँ भव २६०, तेईसवाँ और चौबीसवाँ भव २६१, प्रियमित्र और देव २६१, पचीसवाँ और छब्बीसवाँ भव २६१, नन्दन मुनि की कथा २६१, सताईसवाँ भव २६१, महावीर २६१ । २६२-२६५ चतुर्थ परिच्छेद जमालिप्रवर्तित बहुरत संप्रदाय पंचम परिच्छेद आजीवकमतदिग्दर्शन २६६-२९१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.008068
Book TitleShraman Bhagvana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2002
Total Pages465
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Philosophy
File Size8 MB
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