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का स्वस्थानगमन और बीमार होना १३८, अयंपुल का गोशालक के पास जाना, गोशालक के आठ चरिम और आठ जल १३७-१३८, गोशालक की सख्त बीमारी और भिक्षुसंघ को अंतिम आदेश १३९-१४०, आजीविकों द्वारा गोशालक का अंतिम संस्कार १४० । श्रमण भगवान् की बीमारी और रेवती द्वारा दी गई औषध से नीरोगता १४०-१४३ ।
जमालि का मतभेद १४३ । चम्पा के पूर्णभद्र चैत्य में जमालिका महावीर के सामने निरुत्तर होना १४५, श्रावस्ती में ढंक ने साध्वी प्रियदर्शना को समझाया १४६ ।
अट्ठाईसवाँ वर्ष १४६ । केशी-गौतम संवाद १४७-१५२, शिवराजर्षि और उनका सात समुद्रविषयक ज्ञान १५२-१५६, शिवराजर्षि की निर्ग्रन्थदीक्षा १५६, मोका आदि नगरों में विचरने के उपरान्त वाणिज्यग्राम में चातुर्मास्य १५७।
उनतीसवाँ वर्ष १५७, आजीविकों के आक्षेपों के संबन्ध में गौतम के प्रश्न १५७-१५८, श्रमणोपासक और आजीवकोपासक १५८-१५९ ।
तीसवाँ वर्ष १५९-१६०, शाल महाशाल की प्रव्रज्या १६० । श्रमणोपासक कामदेव के दृष्टान्त से श्रमणनिर्ग्रन्थों को उपदेश १६०, दशार्णभद्र की दीक्षा १६१, पंडित सोमिल की ज्ञानगोष्ठी १६१ ।
इकतीसवाँ वर्ष १६५, श्रमणोपासक अम्बड परिव्राजक १६५, काम्पिल्य से वैशाली को १६७ ।
बत्तीसवाँ वर्ष १६८, पार्खापत्य गांगेय की प्रश्नपरंपरा १६८-१७० ।
तेतीसवाँ वर्ष १७१, अन्यतीर्थिकों की मान्यता के संबन्ध में गौतम के प्रश्न १७१, श्रुत और शील की श्रेष्ठता के विषय में प्रश्न १७१, जीव और जीवात्मा के विषय में प्रश्न १७२, केवली की भाषा के संबन्ध में प्रश्न १७२, पृष्ठचम्पा में गागलि आदि की दीक्षायें १७३, श्रमणोपासक मद्दुक और कालोदायी आदि अन्यतीर्थिकों की तत्त्वचर्चा १७३-१७६ ।
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