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________________ श्रमणोपासकों की देवों के आयुष्य की चर्चा १०२, कौशाम्बी समवसरण, मृगावती की दीक्षा १०३, विदेह को प्रयाण १०४ । ___इक्कीसवाँ वर्ष १०४, मिथिला, काकंदी, काम्पिल्य होकर पोलासपुर गमन १०४-१०५, आजीविकोपासक सद्दालपुत्र १०४, सद्दालपुत्र को महावीर का प्रतिबोध १०५, गोशालक द्वारा सद्दालपुत्र के सामने महावीर की प्रशंसा १०६-१०९, सद्दालपुत्र का उचित आचार १०९ । बाईसवाँ वर्ष ११०-११३ पार्खापत्यों के रात्रि-दिन की अनन्तता परीत्तता के विषय में प्रश्न १११-११२, लोक-अलोक आदि के पहले पीछे के संबन्ध में प्रश्न ११२-११३, लोकस्थिति के संबन्ध में गौतम के प्रश्न ११४ । तेईसवाँ वर्ष ११४, कचंगला के छत्रपलास चैत्य में समवसरण ११५, स्कन्दक प्रव्रज्या ११५-१२० । चौबीसवाँ वर्ष १२१, जमालि का पृथक् विहार १२१, पापित्यों की देशना का समर्थन १२१-१२२ । पचीसवाँ वर्ष १२३, चम्पा में श्रेणिकपौत्र पद्म आदि १० राजपुत्रों की दीक्षा १२३ । छब्बीसवाँ वर्ष १२३, कृणिक की वैशाली पर चढ़ाई १२४, भगवान् का चम्पा की तरफ विहार और काली आदि श्रेणिकपत्नियों की दीक्षा १२४ । सत्ताईसवाँ वर्ष १२४. मिथिला से श्रावस्ती को विहार १२५ । गोशालक प्रकरण १२५ । गोशालक और उसकी उत्पत्ति १२५, गोशालक का अनगार आनन्द द्वारा धमकी भरा संदेश १२८, गोशालक का भगवान् के पास आगमन १२८, गोशालक द्वारा आजीविक मत की निर्वाणगमनपद्धति का निरूपण १२९-१३२, सुनक्षत्र और सर्वानुभूति पर गोशालक का अत्याचार १३३, महावीर पर तेजोलेश्या का निष्फल प्रयोग १३४, निर्ग्रन्थश्रमणों की गोशालक के साथ चर्चा १३४-१४०, गोशालक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.008068
Book TitleShraman Bhagvana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2002
Total Pages465
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Philosophy
File Size8 MB
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