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________________ ३९० श्रमणशिष्य बनाया था । दशार्णदेश आजकल की भोपाल रियासत की जगह था । इससे मृत्तिकावती के अवशेष भी वहीं भिलसा के आस पास कहीं होने चाहिये । मेंढिय गाँव — यह गाँव श्रावस्ती के निकट कौशाम्बी के मार्ग में था । इसके बाहर सालकोष्ठक चैत्य था, जिसमें महावीर गोशालक की तेजोलेश्या के प्रयोग के बाद पधारे थे और छः महीने के उपरान्त यहीं औषध सेवन किया था, जिसे कि सिंह अनगार मेंढिय में जाकर रेवती के घर से लाया था । छद्मस्थावस्था में आप पर गोपालक ने भी यहाँ पर एक निष्फल आक्रमण किया था । श्रमण भगवान् महावीर मोकानगरी - इस नगरी के बाहर नन्दन चैत्य नामक उद्यान था, जहाँ भगवान् महावीर ठहरे थे और धर्म - उपदेश किया था । यह नगरी उत्तर भारत के पश्चिमी विभाग में कहीं थी । संभव है, पंजाब प्रदेशस्थित आधुनिक मोगामंडी ही प्राचीन मोकानगरी हो । मोराकसंनिवेश—यह गाँव वैशाली के आसपास था । कोल्लाक संनिवेश से महावीर मोराक गये थे और दूइज्जंत नामधारी दार्शनिकों के आश्रम में एक रात ठहरे थे, और वर्षावास निकट आने पर फिर आकर वर्षावास ठहरे थे, पर पंद्रह दिन के बाद आप यहाँ से चले गये थे और अस्थिकग्राम में शेष वर्षाकाल व्यतीत किया था । मोसलि— यह गाँव भी महावीर के उपसर्गक्षेत्रों में से एक था । यहाँ पर आपको चोर की भ्रान्ति से सात बार फाँसी दी गई थी पर प्रत्येक बार फाँसी के टूट जाने से आप को निर्दोष समझकर छोड़ दिया था । मोसलि उत्तर पश्चिमी उड़ीसा में अथवा गोंडवाना में होना संभव है । मौर्यसंनिवेश- यह संनिवेश महावीर के छठवें तथा सातवें गणधर मंडिक और मौर्यपुत्र का जन्मस्थान था । यह गाँव उत्तर भारत के पूर्वीय भाग में कहीं था । अधिक संभव काशी देश की भूमि में होने का है । Jain Education International For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.008068
Book TitleShraman Bhagvana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2002
Total Pages465
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Philosophy
File Size8 MB
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