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श्रमण भगवान् महावीर
गोकुल-इसका दूसरा नाम व्रजग्राम था । यहाँ पर महावीर भिक्षा के लिये गये, तब संगमक ने सर्वत्र आहार में अनेषणा कर दी थी । यहीं पर अपनी हार मानकर संगमक ने महावीर से क्षमा प्रार्थना की थी । यह गोकुल उड़ीसा में अथवा दक्षिण कोशल में होने का संभव है ।
गोभमि-यह गोभूमि संभवतः गोकुल के पास का वनप्रदेश होगा । आवश्यकचूर्णिकार लिखते हैं-"गावीओ चरंति तेण गोभूमि" अर्थात् गावों के चरने से गोभूमि कहलाती थी । यहाँ पर गोशालक ने गोपों को वज्रलाढा कहकर मार खाई थी ।
गोव्वरगाम—यह गाँव महावीर के गणधर इंद्रभूति, अग्निभूति और वायुभूति गौतम का जन्मस्थान था । गोवर राजगृह से पृष्ठचम्पा जाते मार्ग में पड़ता था । गौतमरासा में इसे मगधदेश में बताया है; परन्तु कुछ उल्लेखों से यह पृष्ठचम्पा के निकट होने से अंगभूमि में होगा, ऐसा सिद्ध होता है ।
ग्रामक संनिवेश (गामाय संनिवेस)-इसके बाहर बिभेलक उद्यान में महावीर ने ध्यान किया था और बिभेलक यक्ष ने आपकी पूजा की थी । यह संनिवेश वैशाली और शालिशीर्ष नगर के बीच में पड़ता था ।
चन्दन पादप उद्यान-यह उद्यान मृगग्राम के निकट था । इसमें सुधर्म यक्ष का मंदिर था । भगवान् महावीर ने इसी उद्यान में मृगापुत्र के पूर्वभव का वर्णन किया था ।
चन्द्रावतरण चैत्य-यह चैत्य कौशाम्बी के समीप था । भगवान् महावीर अनेक बार यहाँ पधारे थे और जयन्ती, मृगावती, अंगारवती प्रमुख राजवंशी स्त्रियों को श्रमणधर्म की प्रव्रज्या दी थी ।
चन्द्रावतरण चैत्य (२)-उद्दण्डपुर के निकट भी एक चन्द्रावतरण चैत्य था ।
चम्परमणीयोद्यान-कुमारासंनिवेश के पास के उद्यान का नाम चम्परमणीय था । यहाँ पर महावीर ने कायोत्सर्ग ध्यान किया था ।
चम्पा-चम्पा और पृष्ठचम्पा की निश्रा में महावीर ने तीन
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