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विहारस्थल - नाम - कोष
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क्षत्रियकुण्डपुर ( खत्तियकुंडपुर ) मुजफ्फपुर जिला में बेसाड़पट्टी के पास जो बसुकुण्ड गाँव है वहीं महावीर की जन्मभूमि प्राचीन क्षत्रियकुण्डपुर है । 'कुण्डग्राम' शब्द देखिये ।
क्षितिप्रतिष्ठित -- चरित्रों में महावीर के क्षितिप्रतिष्ठित नगर में विहार करने का उल्लेख है । यह क्षितिप्रतिष्ठित कहाँ होना चाहिये यह बताना कठिन है । गंगा के बायें किनारे पर जहाँ आज झूसी है पहले प्रतिष्ठापुर नगर था । संभव है, चरित्रकार का क्षितिप्रतिष्ठित यही प्रतिष्ठानपुर होगा ।
गंगा - भारतवर्ष की सबसे बड़ी नदियाँ दो मानी गई हैं— एक गंगा और दूसरी सिंधु | जैनसूत्रों में गंगा की उत्पत्ति क्षुद्रहिमक्त् पर्वत के पद्मद्रह से मानी गई है । आधुनिक अन्वेषणानुसार गंगा हिमालय के उत्तर प्रदेश स्थित मानसरोवर से निकल कर उत्तर भारतवर्ष में होती हुई पूर्व की ओर जाकर समुद्र में गिरती है । महावीर के विहारप्रसंग में गंगा का उल्लेख अनेक बार आया है । आपके नाव द्वारा गंगा उतरने का उल्लेख भी दो बार आया है ।
गजपुर ( गयपुर ) हस्तिनापुर का ही नामान्तर गजपुर है। जैन सूत्रों में कुरुजनपद की राजधानी का नाम गजपुर लिखा है ।
गंडकी - यह नदी हिमालय के सप्तगंडकी और धवलगिरिश्रेणि से निकलती है । यह गंडक, नारायणी आदि अनेक नामों से प्रसिद्ध है । महावीर के विहारवर्णन में इसका 'गंडकिका' (गंडइआ ) नाम से उल्लेख है ।
वैशाली और वाणिज्यग्राम इसके किनारे पर अवस्थित थे और महावीर की जन्मभूमि क्षत्रियकुंडपुर भी इसके समीप ही था ।
गुणशील ( गुणसिलअ ) - यह राजगृह नगर का प्रसिद्ध उद्यान था । भगवान् महावीर जब राजगृह पधारते तब प्राय: इसी उद्यान के चैत्य में ठहरते थे । भगवान् के हाथ से सैकड़ों श्रमण - श्रमणियाँ और हजारों श्रमणोपासक - श्रमणोपासिकायें यहाँ बनी थीं। महावीर के ग्यारह गणधर शिष्यों ने इसी गुणशिलक चैत्य में अनशनपूर्वक निर्वाण प्राप्त किया था । आजकल का गुणावा, जो नवादा स्टेशन से लगभग तीन मीलपर है, प्राचीन समय का गुणशील माना जाता है ।
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