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विहारस्थल- नाम- - कोष
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उत्तरविदेह —— नेपाल का दक्षिण प्रदेश पहले उत्तरविदेह कहलाता था ।
उद्दंडपुर—यह नगर पटना जिला (बिहार) में था । पालवंशी राजाओं की यहाँ राजधानी थी । गोशालक ने उद्दंडपुर के चन्द्रावतरण चैत्य में ऐणेयक का शरीर छोड़कर मल्लराम के शरीर में प्रवेश करने का महावीर के सामने दावा किया था ।
उन्नाग (उन्नाक ) पुरिमताल से महावीर उन्नाग होकर गोभूमि की तरफ गये थे जहाँ गोशालक पीटा गया था । आजकल का 'उन्नावा' प्राचीन 'उन्नाग' हो सकता है ।
उपनन्द पाटक— ब्राह्मणगाँव का एक हिस्सा जहाँ का जमींदार उपनंद था और जहाँ गोशालक भिक्षा के लिये गया था ।
उल्लुकातीर—यह नगर उल्लुका नदी के तट पर था । इसके आसपास का प्रदेश नदीखेड देश कहलाता था । उल्लुकातीर के बाहर एकजंबूचैत्य नामक उद्यान था, जहाँ महावीर ठहरते और उपदेश करते थे । आजकल यह स्थान कहाँ होगा, यह बताना कठिन है। सूत्रों में जहाँ इसका उल्लेख है उसके पहले और पीछे राजगृह के समवसरण की चर्चा है । इससे अनुमान होता है कि उक्त नगर मगध के ही किसी प्रदेश में रहा होगा ।
ऋजुपालिका (रिजुवालिया ) — ऋजुपालिका नदी के उत्तर तट पर भगवान् महावीर को केवलज्ञान हुआ था । हजारीबाग जिला में गिरिडीह के पास बहनेवाली बाराकड़ नदी को ऋजुपालिका अथवा रिजुवालुका कहते हैं । पं० श्रीसौभाग्य विजयजी ने इसके संबन्ध में अपनी तीर्थमाला में लिखा है कि वहाँ दामोदर नदी बहती है । पर इन उल्लेखों से भगवान् के केवलकल्याणक की भूमि का निश्चित पता लगना कठिन है । आजकल जहाँ सम्मेतशिखर के समीप केवलभूमि बताई जाती है उसके पास न तो ऋजुवालिका या इससे मिलते-जुलते नामवाली कोई नदी है और न जंभियग्राम अथवा इसके अपभ्रष्ट नाम का ग्राम । सम्मेतशिखर से पूर्वदक्षिण दिशा में दामोदर नदी आज भी है पर ऋजुवालिका अथवा उजुवालिया नदी का कहीं पता नहीं है । हाँ, उक्त दिशा में आजी नाम की एक बड़ी नदी अवश्य
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