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________________ जिनकल्प और स्थविरकल्प ३५१ ने उपयोग किया है । वस्तुतः उक्त ग्रन्थों के निर्माण-समय में दिगम्बरसंप्रदाय के पास परम्परागत दशवैकालिक और नियुक्ति आदि ग्रन्थों का भी अस्तित्व रहना सम्भव नहीं है । क्योंकि दिगम्बरीय सम्प्रदाय में इन ग्रन्थकारों के बहुत पहले ही अंग और प्रकीर्णकों का विच्छेद हो चुका था । शिवार्य पूर्वाचार्यों की रचनाओं का उपजीवन करके भगवतीआराधना की रचना करने की बात कहते हैं और वट्टकेर भी सामायिकनियुक्ति को आचार्य-परम्परागत बताते हैं । फिर भी इससे यह मान लेना कुछ भी प्रमाण नहीं रखता कि ये ग्रन्थ दिगम्बरीय होंगे। क्योंकि दिगम्बरों में न तो शिवार्य के पहले का कोई आराधना ग्रन्थ ही है और न वट्टकेर के पहले की षडावश्यकनियुक्ति ही । इसके विपरीत श्वेताम्बर-परम्परा में 'महापच्चक्खाण' आदि अनेक अति प्राचीन आराधनाविषयक 'पइन्नय' ग्रन्थ और दशवैकालिक आवश्यकनियुक्ति आदि प्राचीन आगम आज भी मौजूद हैं। इससे यह मानना ही युक्तिसंगत है कि दिगम्बर ग्रन्थकार जिनका उपयोग करना स्वीकार करते हैं वे ग्रन्थ श्वेताम्बर परम्परा के थे । दिगम्बर ग्रन्थों के लिखने की कथा जिस प्रकार श्वेताम्बर परम्परा में मथुरा और वलभी में आगम पुस्तकारूढ होने सम्बन्धी वृत्तान्त उपलब्ध होता है । उसी प्रकार दिगम्बरों में भी पुण्ड्रवर्धन नगर में पुस्तक लिखने सम्बन्धी एक कथा है जो श्रुतावतार कथा के नाम से प्रसिद्ध है । यद्यपि यह कथा अधिक प्राचीन नहीं है तथापि इसमें आंशिक सत्यता अवश्य होनी चाहिये । चीनी परिव्राजक हुएनत्सांग जब पुण्ड्रवर्धन में गया था तो उसने वहाँ पर नग्न साधु सबसे अधिक देखे थे । इससे भी अनुमान होता है कि उस समय अथवा तो उसके कुछ पहले वहाँ दिगम्बर संघ का सम्मेलन हुआ होगा । यद्यपि कोई-कोई दिगम्बर विद्वान् उक्त सम्मेलन को कुन्दकुन्दाचार्य के पहले हुआ बताते हैं; परन्तु दिगम्बरीय पट्टावलियों की गणनानुसार यह प्रसंग कुन्दकुन्द के बहुत पीछे बना था ! पट्टावलियों में कुन्दकुन्द से लोहाचार्य पर्यन्त के सात आचार्यों का पट्टाकाल निम्नलिखित क्रम से मिलता है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.008068
Book TitleShraman Bhagvana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2002
Total Pages465
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Philosophy
File Size8 MB
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