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________________ ३३६ मिलती । इन बातों पर विचार करने से यह निश्चय हो जाता है कि दिगम्बर पट्टावली - लेखकों ने, विक्रम की पाँचवी छठी सदी से पहले के प्राचीन आचार्यों की जो पट्टावली दी है, वह केवल दन्तकथा मात्र है और अपनी परम्परा की जड़ को महावीर तक ले जाने की चिन्ता से अर्वाचीन आचार्यों ने इधर उधर के नामों को आगे पीछे करके अपनी परम्परा के साथ जोड़ दिया है । प्रसिद्ध दिगम्बर जैन विद्वान् पं० नाथूरामजी प्रेमी भगवती आराधना की प्रस्तावना में लिखते हैं- "दिगम्बर सम्प्रदाय में अंगधारियों के बाद की जितनी परम्पराएँ उपलब्ध हैं, वे सब अपूर्ण हैं और उस समय संग्रह की गई हैं जब मूलसंघ आदि भेद हो चुके थे और विच्छिन्न परम्पराओं को जानने का कोई साधन न रह गया था ।" परन्तु वस्तुस्थिति तो यह कहती है कि दिगम्बर - सम्प्रदाय में महावीर के बाद एक हजार वर्ष पर्यन्त की जो परम्परा उलब्ध है वह भी उस समय संग्रह की गई थी जब मूलसंघ आदि भेद हो चुके थे । क्योंकि पट्टावली-संग्रहकर्ताओं के पास जब अपने निकटवर्ती आचार्यों की परम्परा जानने का भी साधन नहीं था तो उनके भी पूर्ववर्ती अङ्गपाठी और पूर्वधरों की परम्परा का जानना तो इससे भी कठिन था, यह निश्चित है । श्रमण भगवान् महावीर ४. श्रुतकेवली भद्रबाहु के दक्षिण में जाने के सम्बन्ध में जो कथा दिगम्बर ग्रन्थों में उपलब्ध होती है वह विक्रमकी दसवीं सदी के पीछे की है । दक्षिण में जाने वाले भद्रबाहु विक्रम की कई शताब्दियों के बाद के आचार्य थे, यह बात श्रवण बेलगोला की पार्श्वनाथ - वस्ति के लगभग शक संवत् ५२२ के आसपास के लिखे हुए एक शिलालेख से और दिगम्बर सम्प्रदाय के दर्शनसार, भावसंग्रह आदि ग्रन्थों से सिद्ध हो चुकी है । अतएव श्रुतकेवली भद्रबाहु के नाते दिगम्बर सम्प्रदाय की प्राचीनता-विषयक विद्वानों के अभिप्राय निर्मूल हो जाते हैं और निश्चित होता है कि श्रुतकेवली भद्रबाहु के वृत्तान्त से दिगम्बर सम्प्रदाय का कुछ भी सम्बन्ध नहीं था । दिगम्बर विद्वानों ने जो जो बातें उनके नाम पर चढ़ाई हैं वास्तव में उन सबका सम्बन्ध द्वितीय ज्योतिषी भद्रबाहु के साथ है । Jain Education International For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.008068
Book TitleShraman Bhagvana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2002
Total Pages465
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Philosophy
File Size8 MB
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