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________________ जिनकल्प और स्थविरकल्प ३३५ (१) परम्परागत श्वेताम्बर जैन आगम जो विक्रम की चौथी सदी में मथुरा और वलभी और छट्ठी सदी के प्रथम चरण में माथुर और वालभ्य संघ की सम्मिलित सभा में वलभी में व्यवस्थित किये और लिखे गये हैं। उनमें के स्थानाङ्ग तथा औपपातिक सूत्र में और आवश्यक नियुक्ति में सात निह्नवों के नाम और उनके नगरों का उल्लेख किया गया है, जो मात्र साधारण विरुद्ध मान्यता के कारण श्रमणसंघ से बाहर किये गये थे । इनमें अन्तिम निह्नव गोष्ठामाहिल है जो वीर संवत् ५८४ (विक्रम संवत् ११४) में संघ से बहिष्कृत हुआ था । यदि विक्रम की चतुर्थ शताब्दी तक भी दिगम्बर परंपरा में केवलिकवलाहार का और स्त्री तथा वस्त्रधारी की मुक्ति का निषेध प्रचलित हो गया होता तो उनको निह्नवों की श्रेणि में दर्ज न करने का कोई कारण नहीं था; परंतु ऐसा नहीं हुआ इससे जान पड़ता है कि विक्रम की पाँचवीं शताब्दी तक श्वेताम्बर-विरोधी-सिद्धान्त-प्रतिपादक वर्तमान दिगंबर परंपरा का प्रादुर्भाव नहीं हुआ था । (२) विक्रम की सातवीं सदी के पहले के किसी भी लेखपत्र में वर्तमान दिगंबर-परंपरा-संमत श्रुतकेवली, दशपूर्वधर, अङ्गपाठी आचार्यों, गणों, गच्छों और संघों का नामोल्लेख नहीं मिलता । (३) दिगंबर-परंपरा के पास एक भी प्राचीन पट्टावली नहीं है। इस समय जो पट्टावलियाँ उसके पास विद्यमान हैं वे सभी बारहवीं सदी के पीछे की हैं और उनमें दिया हुआ प्राचीन गुरुक्रम बिलकुल अविश्वसनीय है । बल्कि यह कहना चाहिये कि महावीर-निर्वाण के बाद एक हजार वर्ष तक का इन पट्टावलियों में जो आचार्यक्रम दिया हुआ है वह केवल कल्पित है । पाँच चतुर्दशपूर्वधर, दस दशपूर्वधर, एकादशाङ्गधर, एकांगपाठी, अंगैकदेशपाठी आदि आचार्यों के जो नाम, समय और क्रम लिखा है उसका मूल्य दन्तकथा से अधिक नहीं है । इनके विषय में पट्टावलियाँ एक मत भी नहीं हैं। श्रुतकेवली, दशपूर्वधर, एकादशाङ्गधर, अंगपाठी और उनके बाद के बहुत समय तक के आचार्यों का नाम-क्रम और समय-क्रम बिलकुल अव्यवस्थित है। कहीं कुछ नाम लिखे हैं और कहीं कुछ । समय भी कहीं कुछ लिखा है और कहीं कुछ । कहीं भी व्यवस्थित समय या नामावली तक नहीं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.008068
Book TitleShraman Bhagvana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2002
Total Pages465
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Philosophy
File Size8 MB
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