SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 39
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३८ हैं पर उन सबको अभ्यास के रूप में नहीं पढ़ा । वस्तुत: उनकी शैली, भाषा अथवा वस्तु कोई भी चीज हमें अच्छी नहीं लगी, अत: आधुनिक चरित्रों का हमने इसके निर्माण में उपयोग नहीं किया । ८. हमारी पूर्वयोजना प्रस्तुत ग्रन्थ की रचना का कार्य प्रारंभ किया तब हमारी योजना कुछ भिन्न थी । उस समय हमारा विचार इस ग्रन्थ को चरित, संघ और परिशिष्ट नामक तीन खंडों में विभक्त करने का था और इस क्रम से हमने ग्रन्थ तैयार भी कर लिया था; परन्तु अन्त में हमारा विचार बदल गया । 'संघ खण्ड' को स्वतंत्र ग्रन्थ के रूप में छपवाने का विचार भविष्य के ऊपर छोड़ कर चरितखण्ड और परिशिष्ट खण्डात्मक प्रस्तुत ग्रन्थ को पहले छपवाना निश्चित किया । ऐसा करने के अनेक कारण थे । पहला यह कि तीनों खण्ड एक साथ छपवाने से ग्रन्थ बढ़ जाता, दूसरा समय अधिक निकल जाता और तीसरा कागजों की इस महंगाई के समय में खर्च बहुत अधिक बढ़ जाता; अत: पूर्वयोजना में थोड़ा सा परिवर्तन करना पड़ा है ! ९. हमारा उद्देश ___ इस ग्रन्थ के निर्माण का उद्देश जैन सूत्रों में से भगवान् महावीर के जीवन प्रसंगों को चुन कर कालक्रम से रखना और इस विषय के जिज्ञासुओं की जिज्ञासापूर्ति करने के अतिरिक्त भविष्य के समर्थ लेखकों के लिये सामग्री उपस्थित करना है। आज से बराबर चार वर्ष पहले हमने भगवान् महावीर का यह केवलि-जीवन का रेखा-चित्र 'श्री जैन सत्यप्रकाश' मासिक में प्रकाशित कराया था । उसका उद्देश यही था कि इसमें कोई भूल अथवा असंगति हो तो ज्ञात हो सके । परन्तु हमारे इस निबन्ध के ऊपर किसी ने किसी प्रकार की टीका टिप्पणी नहीं की । हाँ, श्रीसागरानन्दसूरिजी ने अपने पाक्षिक पत्र 'सिद्धचक्र' में इसके संबन्ध में कुछ लिखना प्रारंभ अवश्य किया था परन्तु न मालूम बाद में उन्होंने भी आगे लिखना क्यों छोड़ दिया । चर्चा न होने के कारण इस विषय में हमें नवीन सूचना-सम्मति का लाभ तो नहीं मिला Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.008068
Book TitleShraman Bhagvana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2002
Total Pages465
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Philosophy
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy