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पर फिर भी हमारा वह रेखाचित्र का प्रकाशन निष्फल नहीं गया ।
___श्री महावीर कथा' ग्रन्थ के विद्वान् सम्पादक श्रीगोपालदास जीवाभाई पटेल ने अपने उक्त ग्रन्थ में हमारा वही केवलि-जीवन रेखाचित्र पूर्णरूप से अपना कर अपने ग्रन्थ का एक महत्त्वपूर्ण भाग व्यवस्थित किया है । यद्यपि उक्त चित्र में रंगपूर्ति आपने अपनी रुचि के अनुसार की है, तथापि उसको ज्यों का त्यों स्वीकार करके श्रीयुत पटेल ने हमारे इस ग्रन्थ का महत्त्व बढ़ाया है। हमें बहुत संतोष होगा यदि अन्य विद्वान् भी हमारी इस ग्रन्थोक्त साम्रगी के आधार पर भगवान् महावीर का विशिष्ट जीवन ग्रन्थित करने का श्रम करेंगे । १०. शैली
हमने इस ग्रन्थ का आलेखन प्रतिपादक शैली में किया है । जिनजिन सूत्रों में जो-जो चरितांश मिले और ठीक समझे गये उनको अपनी सादी भाषा में उतार कर यथास्थान रख दिये हैं । जहाँ तक बना सूत्रों के शब्दों में ही वृत्तान्त लिखा गया है तथापि बहुधा संक्षेप करके लिखना पड़ा है, क्योंकि सूत्र-शैली अति विस्तृत होने से अक्षरशः अनुवाद करने से भाषान्तर बढ़ जाता और पढ़नेवालों को भी नीरसता का अनुभव होता ।
शैली के विषय में हमें अनेक विद्वान् मित्रों की अनेकविध सूचनाएँ मिली थीं । किसी की सम्मति आलोचनात्मक दृष्टि से चरित्र लिखने के पक्ष में थी तो कुछ विद्वान् पुरातत्त्व की दृष्टि से वस्तु को परिष्कृत करके लिखवाना चाहते थे, परन्तु जब हमने पाठकगण की दृष्टि का विचार किया तो हमें उक्त सम्मतियाँ अच्छी होने पर भी विशेष उपयोगी प्रतीत नहीं हुईं । हमारा यह प्रयास केवल आलोचकगण अथवा पुरातत्त्वप्रिय विद्वानों के लिये ही नहीं पर सर्व साधारण के उपयोग के लिये है अतः शैली स्वीकार के विषय में हमने अपनी ही समझ से काम लिया है । भिन्न-भिन्न शैली के अनेक चरित्र ग्रन्थ पढ़ने के उपरान्त भी हमने स्वसंमत प्रतिपादक शैली को ही योग्य समझा और उसीके अनुसार ग्रन्थ का आलेखन किया है । ११. खुलासा
श्रमण भगवान् महावीर के जीवन प्रसंगों में से दो एक के विषय
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