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________________ लगे होंगे, ऐसा हमारा अनुमान है। यदि हमारा यह अनुमान गलत न हो तो इसका अर्थ यह होता है कि राजा श्रेणिक ने भगवान् महावीर का केवलिजीवन दस वर्ष के लगभग अधिक नहीं देखा । ५. सामान्य हेतुसंग्रह उक्त चार बातें हमारे केवलिविहारक्रम के मुख्य स्तंभ हैं । उन्हीं के आधार पर हमने भगवान् के जीवन-चरित्र की अनेक घटनाओं को व्यवस्थित किया है, परन्तु केवल इन्हीं आधारों पर हमारी सम्पूर्ण इमारत निर्भर नहीं रह सकती, इसलिये हमें अन्य भी अनेक आधारभूत सामान्य हेतुओं का सहारा लेना पड़ा है, जो नीचे की तालिका से ज्ञात होंगे (१) मेघकुमार की दीक्षा राजगृह के प्रथम समवसरण में हुई थी और बारह वर्ष के बाद उन्होंने राजगृह के विपुल पर्वत पर अनशन किया । उस समय भी भगवान् राजगृह में थे । (२) अभयकुमार जब गृहस्थाश्रम में था तब वीतभय के राजा उदायन की दीक्षा हो चुकी थी। (३) उदायन की दीक्षा के लिये भगवान् ने चम्पा से वीतभय की तरफ विहार किया था । (४) जालि आदि तथा दीर्घसेन आदि की दीक्षायें श्रेणिक के जीवित-काल में हुई थी और उनमें से अधिकांश के अनशन काल में भगवान् राजगृह में थे। __ (५) आर्द्रकुमार और गोशालक का संवाद श्रेणिक के राज्यकाल की घटना है। (६) प्रसन्नचन्द्र को केवलज्ञान श्रेणिक की विद्यमानता में हुआ था । (७) महाशतक ने श्रेणिक के राज्यकाल में महावीर के पास गृहस्थधर्म स्वीकार किया था । (८) धन्य शालिभद्र का अनशन श्रेणिक के राज्यकाल में हुआ था Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.008068
Book TitleShraman Bhagvana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2002
Total Pages465
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Philosophy
File Size8 MB
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