________________
किया और छ: महीने के बाद वह रोग शान्त हुआ । कुछ समय तक उन्हें पुनः शारीरिक शक्ति प्राप्त करने के लिये भी वहाँ ठहरना पड़ा होगा जबतक कि वर्षाकाल अधिक निकट आ गया होगा । वैशाली-वाणिज्यगाँव अभी तक युद्धभूमि बने हुए थे अथवा उजड चुके थे । इस स्थिति में भगवान् के वर्षावास के लिये अनुकूल केन्द्र मिथिला ही हो सकता था । इस कारण उन्होंने मेंढियगाँव से मिथिला की तरफ प्रयाण किया और वर्षावास मिथिला में किया, यह निश्चित है ।
___ (१६) मिथिला से भगवान् पश्चिम तरफ के जनपदों में विचरे । हस्तिनापुर तक चक्कर लगाकर वे लौटे थे । वैशाली का युद्ध समाप्त हो गया था परन्तु युद्ध के परिणाम स्वरूप वैशाली की जो दुर्दशा हुई थी, उसके कारण भगवान् वहाँ नहीं ठहर सके । यद्यपि युद्ध के कारण वाणिज्यग्राम भी काफी हानि उठा चुका था, तथापि उसके नागरिक जानमाल की रक्षा के लिये जो इधर-उधर बिखरे थे, लड़ाई के बाद उनमें से अधिकतर लौट गये थे । इस कारण भगवान् ने वर्षावास वाणिज्यग्राम में किया ।
__(१७) कई अनगारों की इच्छा विपुलगिरि पर अनशन करने की थी और मगधभूमि को छोड़े चार वर्ष जितना समय भी हो चुका था अतः १७वाँ वर्षावास भगवान् ने मगध के केन्द्र राजगृह में किया ।
(१८-१९-२०) वर्षाकाल के बाद भगवान् चम्पा की तरफ विचरे थे, दरम्यान गौतम को पृष्ठचम्पा भेज साल महासाल को प्रतिबोध करवाया । 'ग' चरित्र के अभिप्राय से भी भगवान् इसी अवसर पर चम्पा गये थे और साल महासाल को प्रतिबोधित किया था । यद्यपि 'ग' चरित्रकार कालान्तर में पिठरादि की दीक्षा का विधान और गौतम के अष्टापदगमन का निरूपण करने के बाद चम्पा से भगवान् के दशार्ण जाने की बात कहता है, परन्तु हमारे विचार से पिठर आदि की दीक्षा के प्रतिपादन करने का यह प्रसंग नहीं था । 'ग' स्वयं कहता है कि पिठर आदि की दीक्षायें जब भगवान् दूसरे अवसर पर चम्पा गये तब हुई थीं, इस से ही सिद्ध है कि साल आदि की दीक्षा के बाद महावीर दशार्णदेश तरफ गये थे । 'ग' चरित्र भी यही बात कहता है ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org