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में पिठर, गागलि आदि की दीक्षायें
। वर्षावास राजगृह में ।
३४वाँ वर्ष ( वि० पू० ४७९ - ४७८ ) — गुणशील चैत्य में कालोदयी को प्रतिबोध । नालन्दा में गौतम और पेढालपुत्र का संवाद । जालि, मयालि आदि मुनियों के विपुलाचल पर अनशन । वर्षावास नालन्दा में !
३५ वाँ वर्ष (वि० पू० ४७८-४७७ ) विदेह की तरफ प्रयाण | वाणिज्यग्राम के समवसरण में सुदर्शन श्रेष्ठि को प्रतिबोध । वाणिज्यग्राम के पास कोल्लाग सन्निवेश में आनन्द श्रमणोपासक के साथ इन्द्रभूति गौतम का अवधिज्ञानविषयक वार्तालाप । वर्षावास वैशाली में ।
३६वाँ वर्ष (वि० पू० ४७७-४७६ ) – कोशल, पाञ्चाल, सूरऐनादि देशों में विहार । साकेत में कोटिवर्ष नगर के किरातराज की दीक्षा । कांपिल्य, सौर्यपुर, मथुरा, नन्दीपुर आदि नगरों में समवसरण । पुनः विदेह में विहार । वर्षावास मिथिला में ।
३७वाँ वर्ष (वि० पू० ४७६ - ४७५ ) मगध की तरफ विहार । राजगृह में समवसरण । अन्यतीर्थिकों के आक्षेपक प्रश्न, कालोदयी के प्रश्न | अनेक दीक्षायें । गणधर प्रभास तथा अनेक मुनियों का निर्वाण | वर्षावास राजगृह में ।
३८वाँ वर्ष (वि० पू० ४७५ - ४७४ ) मगधभूमि में ही विहार राजगृह के समवसरण में अन्यतीर्थिकों की क्रियाकाल निष्ठाकालादि विषयक मान्यताओं के संबन्ध में गौतम के अनेक प्रश्नोत्तर । गणधर अचलभ्राता और मेतार्य का निर्वाण । वर्षावास नालन्दा में ।
३९वाँ वर्ष (वि० पू० ४७४ - ४७३ ) — विदेहभूमि की तरफ विहार | मिथिला के माणिभद्र चैत्य में ज्योतिषशास्त्र की प्ररूपणा । वर्षावास मिथिला में ।
४० वाँ वर्ष (वि० पू० ४७३ - ४७२ ) — विदेहभूमि में ही विहार, अनेक दीक्षायें । वर्षावास मिथिला में ।
४१ वाँ वर्ष (वि० पू० ४७२ - ४७१ ) मगध की तरफ विहार
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