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मिथिला को विहार । वर्षावास मिथिला में ।
२७वाँ वर्ष (वि० पू० ४८६-४८५)-मिथिला से वैशाली के निकट होकर श्रावस्ती की तरफ विहार, बीच में वेहास (हल्ल) वेहल्ल राजकुमारों की दीक्षायें । श्रावस्ती के उद्यान में गोशालक मंखलिपुत्र का उपद्रव । जमालि का निह्नवत्व । मेंढियग्राम के सालकोष्ठक चैत्य में भगवान् की सख्त बीमारी और रेवती के औषध से उसकी शान्ति । वर्षावास मिथिला में ।।
२८वाँ वर्ष (वि० पू० ४८५-४८४)-कोशल-पाञ्चाल की तरफ विहार । श्रावस्ती, अहिच्छत्रा, हस्तिनापुर, मोकानगरी, आदि नगरों में समवसरण । श्रावस्ती में गौतम और केशीकुमार श्रमण की धर्मचर्चा । हस्तिनापुर में शिवराजर्षि, पुट्ठिल आदि की दीक्षायें । वर्षावास वाणिज्यग्राम में ।
२९वाँ वर्ष (वि० पू० ४८४-४८३) वर्षाऋतु के बाद राजगृह की तरफ विहार । राजगृह में आजीवकों के प्रश्न । अनेक मुनियों के अनशन । वर्षावास राजगृह में ।
_३०वाँ वर्ष (वि० पू० ४८३-४८२)-चम्पा की तरफ प्रयाण । कामदेव के धैर्य की प्रशंसा । पृष्ठचम्पा में साल महासाल की दीक्षायें । दशार्ण देश की तरफ विहार । दशार्णभद्र राजा की दीक्षा । विदेह की तरफ गमन । वाणिज्यग्राम में सोमिल ब्राह्मण का निर्ग्रन्थप्रवचन-स्वीकार । वर्षावास वाणिज्यग्राम में ।
३१वाँ वर्ष (वि० पू० ४८२-४८१)-कोशल-पाञ्चाल की तरफ विहार । साकेत, श्रावस्ती, काम्पिल्य आदि में समवसरण । काम्पिल्यपुर में अम्बड परिव्राजक का निर्ग्रन्थप्रवचन-स्वीकार । वर्षावास वैशाली में ।
३२वाँ वर्ष (वि० पू० ४८१-४८०)-विदेह, कोशल, काशी के प्रदेशों में विहार । वाणिज्यग्राम में गांगेय के प्रश्नोत्तर । वर्षावास वैशाली में ।
__३३वाँ वर्ष (वि० पू० ४८०-४७९)-शीतकाल में मगध की तरफ विहार । राजगृह में समवसरण । चम्पा को विहार । दरमियान पृष्ठचम्पा
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