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________________ १४४ श्रमण भगवान् महावीर कडे' यह कथन निश्चयनय की अपेक्षा से सत्य है । निश्चयनय क्रियाकाल और निष्ठाकाल को अभिन्न मानता है । इसके मत से कोई भी क्रिया अपने समय में कुछ भी कार्य करके ही निवृत्त होती है । तात्पर्य इसका यह है कि यदि क्रियाकाल में कार्य न होगा तो उसकी निवृत्ति के बाद वह किस कारण से होगा ? इसलिए निश्चयऩय का यह सिद्धान्त तर्कसंगत है और इसी निश्चयात्मक नय को लक्ष्य में रखकर भगवान् का 'करेमाणे कडे' यह कथन हुआ है जो तार्किक दृष्टि से बिलकुल ठीक है । दूसरी भी अनेक युक्तियों से स्थविरों ने जमालि को समझाया पर वह अपने हठ पर अड़ा रहा । परिणामस्वरूप बहुतेरे समझदार स्थविर श्रमण उसको छोड़कर भगवान् महावीर के पास चले आए । स्वस्थ होने पर जमालि ने श्रावस्ती से विहार कर दिया, पर उसने जो नया तर्क स्थापित किया था उसकी चर्चा हर जगह करता रहता । एक समय भगवान् महावीर चम्पा नगरी के पूर्णभद्र चैत्य में ठहरे हुए थे । जमालि भगवान् के निवास स्थान पर आया और उनसे कुछ दूर खड़ा होकर बोला- देवानुप्रिय ! आपके बहुतेरे शिष्य जिस प्रकार छद्मस्थ-विहार से विचरे हैं वैसा आप मेरे संबंध में न समझें । मैं केवली - विहार से विचरा हूँ । जमालि का उक्त आत्मश्लाघात्मक भाषण सुनकर महावीर के ज्येष्ठ शिष्य इन्द्रभूति उसे संबोधन कर बोले- जमालि ! केवलज्ञान, केवलदर्शन को तूने क्या समझ रक्खा है ? केवलज्ञान और केवलदर्शन वह ज्योति है जो लोक और अलोक तक अपना प्रकाश फैलाती है, जिसका सर्वव्यापक प्रकाश नदी, समुद्र और गगनभेदी पर्वतमालाओं से भी स्खलित नहीं होता, जिस प्रकाश के आगे अन्धेरी गुफायें और तमस् क्षेत्र भी करामलकवत् प्रकाशित होते हैं । महानुभाव जमालि ! जिसमें इस दिव्य ज्योति का प्रादुर्भाव होता है वह आत्मा छिपी नहीं रहती । तू केवली है या नहीं इस संबंध में अधिक चर्चा करना निरर्थक समझता हूँ । सिर्फ दो प्रश्न पूछता हूँ इनका उत्तर दे - (१) लोक शाश्वत है या अशाश्वत ? और (२) जीव शाश्वत है या अशाश्वत ? Jain Education International For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.008068
Book TitleShraman Bhagvana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2002
Total Pages465
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Philosophy
File Size8 MB
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