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________________ ११४ श्रमण भगवान् महावीर लोकस्थिति के संबन्ध में गौतम के प्रश्न गौतम ने पूछा-भगवन् ! लोकस्थिति कितने प्रकार की कही है ? भगवान्—गौतम ! लोकस्थिति आठ प्रकार की कही है, जैसे-१. आकाश पर हवा प्रतिष्ठित है, २. हवा पर समुद्र, ३. समुद्र पर पृथ्वी, ४. पृथ्वी पर त्रसस्थावर प्राणी, ५. (त्रसस्थावर) जीवों पर अजीव (जीव शरीर) और ६. कर्मों पर जीव प्रतिष्ठित हैं, ७. अजीव-जीव संगृहीत है और ८. जीव-कर्म संगृहीत हैं ॥ गौतम-भगवन् ! यह कैसे ? आकाश पर हवा और हवा पर पृथ्वी आदि कैसे प्रतिष्ठित हो सकती है । । भगवान् गौतम ! जैसे कोई पुरुष मशक को हवा से पूर्ण भर कर उसका मुँह बँद कर दे, फिर उसको बीच में से मजबूत बाँध कर मुँह पर की गाँठ खोल हवा निकाल कर उसमें पानी भर दे और फिर मुँह पर तान कर गाँठ दे दे और बाद में बीच की गाँठ छोड़ दे तो वह पानी नीचे की हवा पर ठहरेगा ? गौतम-हाँ भगवन् ! वह पानी हवा के ऊपर ठहरेगा । भगवान्-इसी तरह आकाश के ऊपर हवा और हवा के ऊपर पृथ्वी आदि रहते हैं । गौतम ! कोई आदमी मशक को हवा से भर कर अपनी कमर में बाँधे हुए अथाह जल को अवगाहन करे तो वह ऊपर ठहरेगा या नहीं ? गौतम-हाँ भगवन्, वह मनुष्य ऊपर रहेगा । भगवान्–इसी प्रकार आकाश पर हवा और हवा पर पृथ्वी आदि प्रतिष्ठित हैं । इस वर्ष भगवान् ने वर्षावास राजगृह में ही किया । २३. तेईसवाँ वर्ष (वि० पू० ४९० - ४८९) वर्षाकाल पूरा होते ही भगवान् ने राजगृह से पश्चिमोत्तर प्रदेश की ओर १. भ० श० १, उ० ६, प० ८१ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.008068
Book TitleShraman Bhagvana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2002
Total Pages465
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Philosophy
File Size8 MB
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