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________________ श्रमण भगवान् महावीर रोह-भगवन् ! सिद्धि पहले और असिद्ध पीछे या असिद्ध पहले और सिद्धि पीछे ? भगवान्-रोह ! ये दोनों शाश्वतभाव हैं, इनमें पहले-पीछे का क्रम नहीं । रोह-भगवन् ! सिद्ध पहले और असिद्ध पीछे या असिद्ध पहले और सिद्ध पीछे ? भगवान्—रोह ! ये भी शाश्वतभाव हैं, इनमें पहले-पीछे का क्रम नहीं । रोह-भगवन् ! पहले अण्डा और पीछे मुर्गी या पहले मुर्गी और पीछे अण्डा ? भगवान्—रोह ! वह अण्डा कहाँ से हुआ ? रोह-मुर्गी से । भगवान्–और वह मुर्गी कहाँ से हुई ? रोह-अण्डे से । भगवान्-रोह ! इसी प्रकार अंडा और मुर्गी दोनों पहले भी कहे जा सकते हैं और पीछे भी । ये शाश्वतभाव हैं, इनमें पहले-पीछे का क्रम नहीं । रोह-भगवन् ! पहले लोकान्त और पीछे अलोकान्त या पहले अलोकान्त और पीछे लोकान्त ? __भगवान्-लोकान्त और अलोकान्त दोनों पहले भी कहे जा सकते और पीछे भी, इनमें पहले-पीछे का कोई अनुक्रम नहीं । रोह-भगवन् ! पहले लोक पीछे सप्तम अवकाशान्तर या पहले सप्तम अवकाशान्तर और पीछे लोक ? भगवान्-रोह ! दोनों शाश्वतभाव हैं, इनमें पहले-पीछे का कोई क्रम नहीं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.008068
Book TitleShraman Bhagvana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2002
Total Pages465
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Philosophy
File Size8 MB
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