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________________ १०८ श्रमण भगवान् महावीर स०-भगवान् महावीर महाब्राह्मण कैसे ? श्रमण भगवान् को किस कारण महाब्राह्मण कहते हो ? गो०-भगवान् महावीर ज्ञान दर्शन के धारक हैं, जगत्पूजित हैं और सच्चे कर्मयोगी है । इसलिये वे 'महाब्राह्मण' हैं । क्या महागोप यहाँ आ गये ? स०-~-महागोप कौन ? गो०--श्रमण भगवान् महावीर । स०-देवानुप्रिय ! भगवान् महावीर को महागोप कैसे कहते हो ? गो०-इस संसाररूपी घोर अटवी में भटकते, टकराते और नष्ट होते संसारी-प्राणियों का धर्मदण्ड से गोपन करते हैं और मोक्षरूप बाड़े में सकुशल पहुँचाते हैं, इसी कारण भगवान् महावीर 'महागोप' हैं । क्या 'महाधर्मकथी' यहाँ आ गये, सद्दालपुत्र ? सo-महाधर्मकथी कौन ? गो०-श्रमण भगवान् महावीर । स०-देवानुप्रिय ! भगवान् महावीर को महाधर्मकथी किस कारण कहते हो ? गो०-सद्दालपुत्र ! इस असीम संसार में भटकते, टकराते, वास्तविक मार्ग को छोड़ कर उन्मार्ग पर चलते हुए अज्ञानी जीवों को धर्मतत्त्व का उपदेश देकर धर्ममार्ग पर चलाते हैं, इस वास्ते श्रमण भगवान् महावीर 'महाधर्मकथी' हैं । क्या 'महानिर्यामक' यहाँ आ गये, सद्दालपुत्र ? सo-महानिर्यामक कौन ? गो०-श्रमण भगवान् महावीर । स०-देवानुप्रिय, श्रमण भगवान् महावीर को महानिर्यामक किस लिये कहते हो ? गो०-----इस संसाररूपी अथाह समुद्र में डूबते हुए जीवों को धर्मस्वरूप नाव में बिठला कर अपने हाथ से उन्हें पार लगाते हैं, अतः श्रमण भगवान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.008068
Book TitleShraman Bhagvana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2002
Total Pages465
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Philosophy
File Size8 MB
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