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________________ ८४ श्रमण भगवान् महावीर धर्माचारी और धर्मपूर्वक जीविका चलानेवाले हैं उन जीवों का जागना अच्छा है । कारण, जागते हुए वे किसी को दुःख न देते हुए अपने को तथा अन्य जीवों को धर्म में लगाकर सुखी और निर्भय बनाते हैं, अतः ऐसे जीवों का जागना अच्छा है ।' जयन्ती----'भगवन् ! जीवों की सबलता अच्छी या दुर्बलता ? । महावीर-'कुछ जीवों की सबलता अच्छी है और कुछ की दुर्बलता ।' जयन्ती-भगवन् ! यह कैसे ? महावीर-जयन्ती ! जो जीव अधर्मी, अधर्मशील और अधर्मजीवी हैं उनकी दुर्बलता अच्छी है, क्योंकि ऐसे जीव दुर्बल होने से दूसरों को त्रास देने में और अपनी आत्मा को पापों से मलिन बनाने में विशेष समर्थ नहीं होते । जो जीव धर्मिष्ठ, धर्मशील, धर्मानुगामी और धर्ममय जीवन बितानेवाले हैं उनकी सबलता अच्छी है । कारण, ऐसे जीव सबल होने पर भी किसी को दुःख न देते हुए अपना तथा औरों का उद्धार करने में अपने बल का उपयोग करते है। जयन्ती-भगवन् ! सावधानता अच्छी या आलस्य ? महावीर-बहुत से जीवों की सावधानता अच्छी है और बहुतों का आलसीपन । जयन्ती-भगवन् ! दोनों बातें अच्छी कैसे ? महावीर-जो जीव अधर्मी, अधर्मशील और अधर्म से जीनेवाले हैं उनका आलसीपन ही अच्छा है, क्योंकि ऐसा होने से वे अधर्म का अधिक प्रचार न करेंगे । इसके विपरीत जो जीव धर्मी, धर्मानुगामी और धर्मसे ही जीवन बितानेवाले हैं उनकी सावधानता अच्छी है, क्योंकि ऐसे धर्मपरायण जीव सावधान होने से आचार्य, उपाध्याय, वृद्ध, तपस्वी, बीमार तथा बाल आदि का वैयावृत्त्य (सेवा-शुश्रूषा) करते हैं; कुल, गण, संघ तथा साधर्मिकों की सेवा में अपने को लगाते हैं और ऐसा करते हुए वे अपना तथा औरों Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.008068
Book TitleShraman Bhagvana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year2002
Total Pages465
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Philosophy
File Size8 MB
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