SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 239
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ते-शान्त २२२ जिम (जित) जीतेलु-जीत दक्खिण) ( दक्षिण ) दक्षिणजिइंदिय (जितेन्द्रिय) इन्द्रियो ऊपर दाहिण दक्षिणर्नु जय मेळवनार दाहिणय (दक्षिणक) डायु जिमित (जेमित ) जमेलु-खाघेलं दहव्व (द्रष्टव्य) देखवा जेवू जेट्ट (ज्येष्ठ) जेठं-मोटुं दट्ठ (दृष्ट) दीठं-देखेखें-देखवू जुगुच्छ (जुगुप्स) जुगुप्सा करनार दसम (दशम) दशमुं) घृणा करनार जुन्न (जीर्ण) जीर्ण, जून, जळी दंत (दान्त) जेणे तृष्णाने दमी छे जरी-गयेलं जोइ (योजित) जोडेलु दिग्याउ (दीर्घायुष्) दीर्घ आयुजोहा ष्यवाळो ठड्ड (स्तब्ध) टाढो, टण्डो, स्तब्ध, दियड्ड । (द्वितीयार्ध) जेमां एक जड-थंभी गयेलु दिवड । अने आखं बीजं अडधुं ठिय (स्थित) स्थित-स्थान छे ते-दोढ डज्झमाण (दह्यमान) दाझतुं, दुग्गंधि (दुर्गधिन् ) दुर्गन्धी चीज बळ दुप्पूरिय ( दुष्पूर्य ) मुश्केलीथी तइय । (तृतीय) त्रीजें पुराय-भराय तेवु तत्त (तप्त) तपेलु-तपयु दुरणुधर (दुरनुचर) जेर्नु आचरण तवस्सि ( तपस्विन् ) तपस्वी ___ कठण लागे ते तंस (त्र्यस्र) त्रांसु-त्रिकोण दुरतिकम (दुरतिक्रम) न मटे तेवू तिण्ण (तीर्ण) तरी गयेलु दुल्लह ( दुर्लभ ) दुलभ-दुल्लभतिण्ह (तीक्ष्ण) तीj-अणीदार । मुश्केल तिम्म । (तिग्म) तीक्ष्ण-तेजदार- दुाह ( दुसखन् ) दुःखा तिग्ग । तेग । धणि (धनिन् ) धनी-धनवाळी तिगुणय, (त्रिगुगक) त्रगणुं-. धीर (धीर) धीर-धीरजवालु तिउणय त्रणगणुं नग्ग (नम) नागुं-लुच्चुं तुच्छ ( तुच्छ ) तुच्छ, रांक, नत्ति (नप्तृक) नाती-पौत्र अधुरो । नत्तु तइज
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy