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न्यूनता
अलावू
(अलाबू) दूधी
वचित्र
सामान्य शब्दो विकव (विक्लव'१५) विक्लव
अलाबू आलाब दधी विप्पव ( विप्लव ) विप्लव-तोफान
अक्क (अर्क) अर्क-सूर्य,आकडो घष (ध्वज) धजा-ध्वज
वग्ग (वर्ग) वर्ग
गह (ग्रह) ग्रह लुद्धअ (लुब्धक) लोघो
सद्द (शब्द) शब्द-साद कीलअ (कीलक) खीलो
अल्ल (आई) आलं-भीनुं वणयर (वनचर) वगियर-जंगली । विउण (द्विगुण) बम'
जनावर दीप (द्वीप) द्विप-वेट दार बार) (द्वार) द्वार-बार-वारणु । सबल) (शबल
केटलाक नामधातुओ संस्कृतमां प्रेरक प्रक्रिया उपरांत बीजी पण अनेक प्रक्रियाओ छे. जेवी के-सन्नत, यडंत, यङ्लुबंत अने नामधातुप्रक्रिया. परंतु प्राकृतमा ए माटे खास काइ विशेष विधान नथी. आर्षप्राकृतमां ए प्रक्रियाओनां रूपाख्यानो वपरायेलां मळे छे, ते वर्धाने वर्णविकार वा उच्चारणमेदना नियमोद्वारा साधित करवानां छे. सन्नत-सुस्सूसइ (शुषति) सांभळवाने इच्छे छे, शुश्रूषा
सेवा-करे छे. वीमंसा (मीमांसा) विचार करवो यङन्त-लालप्पर (लालप्यते) लपलप करे छे-बोलबोल करे के
११५ संयुक्त ल, व, ब अने र पूर्ववर्ती होय के परवर्ती होय भन्ने ठेकाणे लोप पामे छे. अने लोप थतां बाकी रहेलो अनादिभूत व्यंजन बेवडाय छे:-पूर्ववर्ती-उल्का-उका-उक्का. शब्द-सद-सह. अर्कअक-अक. परवर्ती-विक्लव-विकव-विकव. श्लक्ष्ण-सह-सव्ह. ध्वज-धअधक्ष. चक्र-चक-चक्क. प्रह-गह-गह. ११६ ब ने बदले 'व' नो पण व्यवहार प्रचलित छेः-शबल-सवल, सबल, अलाबू-अलावू मलावू.