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महावीर-वाणी
(२५२) न य वुगहियं कहं कहिज्जा, ___ न य कुप्पे निहुइन्दिए पसन्ते । संजमधुवजोगजुत्ते, उवसंते अविहेडए जे स भिक्खू ॥४॥
(२७३) जो सहइ हु गामकंटए,
अक्कोस-पहार-तज्जणाओ य । भय-भेरव-सह-सप्पहासे, समसुह-दुक्खसहे जे स भिक्खू ॥॥
(२७४) अभिभूय कारण परिसहाई,
समुद्धरे जाइपहाउ अप्पयं । विइत्तु जाई--मरणं महन्भयं, तवे रए सामणिए जे स भिक्खू घा
(२७५) हत्थसंजए पायसंजए,
वायसंजए संनइन्दिए।
पायस