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नथी, खरुं कहेवामां आवे तो भगवान महावीरना धर्मचक्र प्रवर्तनना जे वीजा वीजा हेतुओ हता तेमां जन्मजातिवादने मीटावी देवानो पण एक खास हेतु हतो ज. ए वातने लक्ष्यमां लाववा खातर २४ मुं जातिमदनिवारण सूत्र खास सांकळवामां आव्युं छे. ते बधी गाथाओ अने पने मळती बीजी वीजी अनेक गाथाओ उत्तराध्ययन सूत्र वगेरे अनेक सूत्रोमां भरी पडी छे परंतु ते बधीने अहीं न आपतां मात्र आचारांग अने सूत्रकृतांग सूत्रमांथी थोडां वचनो वानगी रूपे अहीं गोठवेलां छे ते उपरथी वाचको जोई शकशे के जैन प्रवचनमां मूळधी ज जन्मजातिवादने जराय स्थान नथी पटलं ज नहीं पण एनो विशेष विरोध भगवान महावीरे ज पोते. करेलो छे.
दुःख अने खेदनी वात तो ए छे के वर्तमानमां जेओ जैन धर्मना आचार्य कहेवाय छे तेओ पण हजी सुधी अस्पृश्यताने जाळवी रह्या छे अने केम जाणे ते तेमनो सदाचार न होय तेम पाळी रह्या छे. खरी रीते ए रीतनुं वर्तन जैन प्रवचनथी तद्दन विरुद्ध छे, "अहिंसांनी दृष्टि पण तद्दन अनुचित छे अने भगवान महावीरना वचनोथी तो ए सदंतर वेगळं छें ए चात वर्तमान जैन उपदेशकोना अने तेमना अनुयायी मोना खास ख्यालमां आवे माटे ज श्री जातिमंदनिवारण सूत्रने अहीं सांकळेलं छे
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