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________________ कांडोने नामे घणो घणो भोग मापे छे, घणो घणो त्याग करे के भने एबुं वीजें घj घणुं कष्ट सहन करे के तेम छतां मापणुं वर्तमान जीवन सुखमय, संतोषमय, शांतिमय नथी बनी शकतुं. कुटुंबमां पचोज विखवाद चाल्या करे छे अने समाजमां तथा राष्ट्रमा पण एवाज हानिकारक विखवादो थया करे छे, नवा नवा ध्या करे छे. आपणुं लक्ष्य वर्तमान जीवननां शांति सुख संतोष अने वात्सल्य तरफ ज होय तो आवु केम बनी शके ? आ तरफ विशेष लक्ष्य वेचाय माटेज मा संस्करणमां थोडी कांटछांट करी छे भाई रांकाजीनी सूबना आज हकीकतने लक्ष्यमा राखीने कांटछांट माटे थपली हती एटले पण आ कांटछांट करवानुं गमी गयुं छे. आ महावीरवाणी आपणा प्रत्यक्ष जीवनमा सुख शांति संतोष अने वात्सल्य प्रेरनारी थाय प एक ज आकांक्षा छे. महावीरवाणीना जे वाचको अजैन के तेमने सारु महावीरवाणीमां मावेलुं लोकतत्त्व सूत्र १९ मुं काईक बघारे पडतुं पारिभाषिक लागे बरु छतां य ते द्वारा ते पाचकोने जल प्रवचन विशे थोडी घणी माहिती जरूर मळशे एम मानीने तेने बदव्यु गथी. जैन प्रवचनमा अन्मजातिवादने मूळधीज स्थान [ ५]
SR No.007831
Book TitleMahaveer Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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