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________________ हृदय की बात... उत्तर भारत के जयपुर, आगरा, दिल्ली, अलवर आदि क्षेत्रों में जैन धर्मी पल्लीवाल समाज रहता है। इन क्षेत्रों में अतिप्राचीन जिनमंदिर व जैन धर्म के अवशेष मौजूद हैं। अभी-अभी इन क्षेत्रों के आसपास मेरे गुरुदेव पू. जम्बूविजयजी महाराज की कृपा से 15 के करीब जिनमंदिरों की प्रतिष्ठा हुई। इस प्रतिष्ठा के दौरान मुझे भावना हुई की पल्लीवाल जाति का इतिहास छपवाया जाए... इतिहास के दर्पण में अति मूल्यवान पल्लीवाल समाज का इतिहास क्या है ? ये शायद खुद इन क्षेत्रों के लोगों को नहीं पता। स्थानकवासी समुदाय के कई साधु साध्वी यहाँ श्रावकों को मंदिर न जाने व पूजा न करने की प्रतिज्ञा देते हैं। मैंने खुद स्थानकवासी साधु-साध्वी को मंदिर न जाने की प्रतिज्ञा देते देखा है। पल्लीवाल समाज मूलतः श्वेतांबर मूर्तिपूजक ही है व रहेगा। पल्लीवाल क्षेत्र में जागृति लाने का काम पूजनीय साध्वीजी शुभोदयाश्रीजी म.सा. व शासनसिरताज कुमारपालभाई वी. शाह ने किया है। आज इस कार्य को हम सब ज्यादा-से-ज्यादा आगे बढ़ाएँ व साधु साध्वीजी भगवंत इस क्षेत्र में विशेष विचरण करें यह अति आवश्यक है। अगर साधु-साध्वीजी भगवंतों का विचरण नहीं हआ तो लोग मिथ्यात्वीयों के जाल में फंस जाएँगे व उन्मार्ग का आचरण करने लगेंगे। पल्लीवाल जैन भाई-बहनों से नम्र निवेदन: । पल्लीवाल क्षेत्रों में जो प्राचीन जिनमंदिर आदि है वे सब आपके ही पूर्वजों ने बनवाए हैं। स्थानकवासी पंथ तो आज का (400 साल पूर्व का) निकला हुआ है। आप अपने पूर्वज व अपनी मूल परंपरा संस्कृति को वफादार रहें, यह अति आवश्यक है। यही मार्ग कल्याणकारी है व जन्म जन्मान्तर में शान्ति, तुष्टि, पुष्टि, ऋद्धि-सिद्धि का दाता है... और भगवान की मूल परम्परा यही है। अतः महाजनों येन गतः स पन्था के न्याय से मूल मार्ग की आराधना करके शीघ्र मोक्ष प्राप्त करें यही भावना के साथ.... 1. देखिए.... 'मूर्तिपूजा का प्राचीन इतिहास, लोकागच्छ और स्थानकवासी, जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा', पुस्तक - 100 = श्री पल्लीवाल जैन इतिहास =
SR No.007799
Book TitlePalliwal Jain Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPritam Singhvi, Bhushan Shah
PublisherMission Jainattva Jagaran
Publication Year2017
Total Pages42
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size15 MB
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