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प्राकृत व्याकरणे
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(सूत्र) प्रत्येकम: पाडिक्कं पाडिएक्कं ।। २१०।। (वृत्ति) प्रत्येकमित्यस्यार्थे पाडिक्कं पाडिएक्कं इति च प्रयोक्तव्यं वा। पाडिक्कं
पाडिएक्कं। पक्षे। पत्तेअं। (अनु.) प्रत्येकम् या (शब्दा) च्या अर्थी पाडिक्कं आणि पाडिएक्कं असे (हे
शब्द) विकल्पाने वापरावेत. उदा. पाडिक्कं, पाडिएक्कं. (विकल्प-) पक्षी :- पत्तेअं.
(सूत्र) उअ पश्य ।। २११।। (वृत्ति) उअ इति पश्येत्यस्यार्थे प्रयोक्तव्यं वा।
उअ निच्चलनिप्फंदा भिसिणी-पत्तंमि रेहइ बलाआ। निम्मलमरगयभायणपरिट्ठिआ संखसुत्ति व्व।।। १।।
पक्षे पुलआदयः। (अनु.) पश्य (पहा) या (शब्दा) च्या अर्थी उअ असे (हे अव्यय) विकल्पाने
वापरावे. उदा. उअ...सुत्ति व्व. (विकल्प-) पक्षी :- पुलअ इत्यादि (शब्द वापरावेत).
(सूत्र) इहरा इतरथा ।। २१२।। (वृत्ति) इहरा इति इतरथार्थे प्रयोक्तव्यं वा। इहरा नीसामन्नेहि। पक्षे। इअरहा। (अनु.) इतरथा (नाहीतर) या अर्थी इहरा असा (शब्द) विकल्पाने वापरावा. उदा.
इहरा नीसामन्नेहिँ. (विकल्प-) पक्षी :- इअरहा.
(सूत्र) एक्कसरि झगिति संप्रति ।। २१३।। (वृत्ति) एक्कसरिअं झगित्यर्थे संप्रत्यर्थे च प्रयोक्तव्यम्। एक्कसरिअं। झगिति
सांप्रतं वा। (अनु.) झगिति (एकदम) या अर्थी तसेच संप्रति (आता) या अर्थी एक्कसरिअं (हे
१ पश्य निश्चलनिष्पंदा बिसिनीपत्रे राजते बलाका।
निर्मल-मरकत-भाजन-परिस्थिता शंखशुक्ति: इव।। २ इतरथा नि:सामान्यैः।
A-Proof