SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 56
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गुजराती पद्यकृति [टबार्थ ते देखाडे छई। भेद अनि अभेदनी विवक्षाइं प्रत्येकिं इकेकाना नय सो सो थाइं। एक पदार्थनिं भेदाभेद सद्दहणा सप्तभंगीना अभ्यास विना न होइं इति भावः। हवें भेदाभेदनी विवक्षा देखाडे छई। तिहां सप्तभंगीनो जो अभ्यास करइं तो समकितनी वासना आवें, नही तो एकांतवादी थाइं॥३.७॥(३१) मुख्यवृत्तिं द्रव्यार्थिक, गुणगुणिनइं अभेदि कथक। अन्योन्यइं जे तस भेद, उपचार बलिं ते वेद॥३.८॥(३२) [टबार्थ] मुख्यताई द्रव्यार्थिक नय द्रव्य पर्यायनिं अभिन्न मानइं, तेहनिं माहोमांहें भेद ते उपचारिं मानइं॥३.८॥(३२) [मु.] पर्यायार्थिक मुख्यवृत्तिं, भेद मानइं तेहनो नित्ति। उपचारिं तास अभेद, मनि धारो धरिअ उमेद।।३.९॥(३३) [टबार्थ] पर्यायार्थिक नय मुख्यताइं भेद मानइं गुण अनि गुणिनो सदाइं, उपचारिं तेहनिं अभेद मानइं। एहवं मनें धारवं हर्ष धरीनि। द्रव्यनयनीं मुख्यताई अभेदनी मुख्यता अनि भेदनो उपचार। पर्यायार्थिकनी मुख्यताइं भेदनी मुख्यता अनि अभेदनो उपचार इति भावः॥३.९॥(३३) [म.] ग्रहई मुख्य अमुख्य प्रकार, नय जे दोय धर्म प्रचार। कलपीजें ते अनुसार, तस वृत्ति अनें उपचार॥३.१०॥(३४) [टबार्थ] ग्रहें मुख्य अनि गौण प्रकारिं जे नय छई धर्म छई तेहनिं अनुसारि कलपीइं ते धर्मनी मुख्यता अनि उपचार॥३.१०॥(३४) भिन्न विषय न भासई जेह, नय ज्ञानमां सरवथा तेह। परनय निरपेखी माटइं, जावें मिथ्यामतिं वाटइ॥३.११॥(३५) [टबार्थ] इंम मुख्य-गौणता न कल्पें तो एकांतवादी थाइं ते कहें छइं। जिम द्रव्यनिं पर्याय, पर्यायनिं द्रव्य अथवा भेद विवक्षाइं अभेद अभेद विवक्षाइं भेद इत्यादि भिन्न विषय न भासइं जेह नय ज्ञानमांहिं सर्वथा तेह नय परनय पोताथी विरुद्ध नयना निषेधक माटइं मिथ्यात्वनें अनुसरिं।।३.११॥(३५) म. एह छे महाभाष्ये विचार, संमति संमतपणि धार। स्यादवाद मतिं अनुसरीइं, जिम शिववधू लीलां वरीइं॥३.१२॥(३६) [टबार्थ ए अर्थ विशेषावश्यकें कह्यो छई। ते गाथा एवं सविसयसच्चो, परविसयपरम्मुहो नओ जो उ। न नएसु न समुन्भड़, न य समयासायणं कुणइ॥ त्ति।।३.१२॥(३६) ॥इति मूलनयजातिभेदकथनम्॥ १. नई को.ब(१०७७८),
SR No.007790
Book TitleNayamrutam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherShubhabhilasha Trust
Publication Year2016
Total Pages202
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy