________________ 850 विसेसचुण्णि [महानईपगयं एरवइ जत्थ चक्किय, तारिसए न उवहम्मती खेत्तं / पडिसिद्धं उत्तरणं, पुण्णासति खेत्तऽणुण्णायं // 5653 // सत्त उ वासासु भवे, दगघट्टा तिन्नि होंति उडुबद्धे / जे तु ण हणंति खेत्तं, भिक्खायरियं व न हणंति // 5654 // “एरवइ जत्थ चक्किय०"["सत्त उवासासु०"] गाहा। एरवतिनदी कुणालाजणवए अद्धजोयणवित्थिण्णा अद्धजंघाए उदगं, तीए पुण केसुइ पदेसेसु उदगं अत्थि केसु वि नत्थि / तीए उत्तरिउं जत्थ भिक्खायरियाए गम्मइ तत्थ जइ उडुबद्धे तिण्णि उदगसंघट्टा ते गयाऽगएणं / वासासु सत्त ते गमणागमणेणं चोद्दस, जत्थेरिसं तत्थ न उवहम्मइ / 'पुन्ने सइ'१ अस्य अर्थः / पुण्णे मासकप्पे वासावासे वा जइ पुणणुत्तिन्नाणं अत्थि अन्नं खेत्तं तो न उत्तरियव्वं / जाणि अणुतिन्नाणि खेत्ताणि तेसु विहरियव्वं / अह अणुत्तिण्णाणं अन्नं णत्थि खेत्तं तो उत्तरियव्वं / जह कारणम्मि पुण्णे, अंतो तह कारम्मि असिवादी / उवहिस्स गहण लिंपण, णावोयग तं पि जतणाए // 5655 // "जह कारणम्मि०" गाहा / जह कारणे पुण्णे मासकप्पे वासा य सो तो अन्नखेत्ता असतीए दिटुं उत्तरणं / तहा अंतो वि मासस्स असिवादीहिं कारणेहि उवही वाहल्लिओ लेवस्स वा अट्ठाए उत्तरेज्ज / णावादीसु उत्तरियवे इमा जयणा णाव थल लेवहेढा, लेवो वा उवरि एव लेवस्स / दोण्णी दिवड्डमक्कं, अद्धं णावाएँ परिहाती // 5656 // दो जोयणाइँ गंतुं, जहियं गम्मति थलेण तेण वए। मा य दुरूहे नावं, तत्थावाया बहू वुत्ता // 5657 // "णाव थल०" ["दो जोयणाइं०"] गाहा / णावाए उत्तरियव्वाए दो जोयणाई परिहरंतो थलेणं वच्चउ मा य णावाए / लेवोवरिणा उत्तरियव्वो दिवढे जोयणं परिहरंतो थलेणं वच्चउ मा य लेवोवरिएणं / लेवेणं उत्तरियव्वे जोयणं परिहरंतो थलेणं वच्चउ मा य लेवेणं / जंघद्धे उत्तरियव्वे अद्धजोयणं परिहरंतो थलेणं वच्चउ मा य जंघद्धाए / एएसिं परिहारपरिमाणं असइए णावाए लेवोवरिणा वा लेवेण वा जंघद्धाए वा गम्मइ / थलसंकमणे जयणा, पलोयणा पुच्छिऊण उत्तरणं / परिपुच्छिऊण गमणं, जति पंथो तेण जतणाए // 5658 // 1. पुन्नासह मुच /