________________ भासगाहा-५६४३-५६५२] चउत्थो उद्देसो 849 "गिरिनदि०' गाहा / कण्ठ्या / काहल्लिगा' पाहाण छिंदंति तेउण करेंति तो कोंकणविसए गारा गारिसरिच्छा णीणाणीणउरणगा (?) / सेसं कण्ठ्यम् / गमणे विही उवलजलेण तु पुव्वं, अक्कंत-निरच्चएण गंतव्वं / तस्सऽसति अणक्कंते, णिरच्चएणं तु गंतव्वं // 5647 // "उवलजलेण तु०" गाहा / कण्ठ्या / एमेव सेसएसु वि, सिगतजलादीहिँ होति संजोगा। पंक महुसित्थ लत्तग, खुलऽद्धजंघा य जंघा य // 5648 // "एमेव सेसएसु०" इमा सहायस्स गाहा। अड्डोरुतमित्तातो, जो खलु उवरिं तु कद्दमो होति / कंटादि जढो वि य सो, अत्थाहजलं व सावायं // 5649 // "अड्डोरुत०" गाहा / कण्ठ्या / जत्थ अचित्ता पुढवी, तहियं आउतरुजीवसंजोगा। जोणिपरित्तथिरेहिं य, अक्कंतणिरच्चएहिं च // 5650 // "जत्थ अचित्ता पुढवी०" गाहा / जत्थ आउक्काए अचित्ता पुढवी अक्कं ता णिपच्चवायाए ताव गम्मइ, असइ अणक्कंताए वि णिपच्चवायाए, असइ सचित्तपुढवीए एवं चेव / जत्थ आउक्काए वणस्सइकाओ तत्थ परित्त-मीस-सचित्त-अणंत-मिस्स-सचित्तअक्कंत-अणक्कंत-सपच्चवाय-णिप्पच्चवाइएहिं गंतव्वं / एमेव तु संजोगा, उदगस्स चउव्विहेहिँ तु तसेहिं। अक्कंतथिरसरीरेणिरच्चएहिं तु गंतव्वं // 5651 // "एमेव तु०" गाहा / कण्ठ्या / तेऊवाउविहूणा, एवं सेसा वि सव्वसंजोगा। उदगस्स उ कायव्वा, जेणऽहिगारो इहं उदए // 5652 // "तेऊवाउ०" गाहा / जत्थ आउक्काए सचित्तपुढविक्काओ वणस्सइकाओ य / कयरेणं गम्मउ पुढविक्काएणं? एवं विभासियव्वं / अंतोमासस्स दुक्खुत्तो वा उत्तरित्तए वा संतरित्तए वा अस्य व्याख्या१. कल्लुका: मुच / = पाषाणेषु द्वीन्द्रियजातिविशेषा भवन्ति ते पावो छेदयन्ति /