________________ भासगाहा-५६०४-५६१३] चउत्थो उद्देसो 841 "एवं तु असढभावो०" गाहा / कण्ठ्या / अह पुण जाणेज्जा छिण्णावातेहि आलावगोछिण्णावात किलंते, ठवणा खेत्तस्स पालणा दोण्हं / असुहस्स भत्तदाणं, कारणे पंथे व पत्ते वा // 5611 // "छिण्णावात०" गाहा / जहा अद्धाणे परिहारियो तण्हाए वा छुहाए वा परिताविज्जंतो गामंतरइ पाविउं [न सक्केइ] ताहे अणुपरिहारिओ भत्तपाणं गहाय अंतरग्गामे तस्स देइ / अह सो वि असत्तिट्ठो ताहे दोण्ह वि दिज्जइ / ठवणाखेत्तस्स त्ति उवयंति डहरगामं, पत्ता परिहारिए अपावंते / तस्सऽट्ठा तं गामं, ठविंति अन्नेसु हिंडंति // 5612 // "उवयंति०" गाहा / जइ डहरयं गामं पत्ता परिहारिओ य ण पावइ तो पच्छिल्लया तं परिहारियस्स ठवेउ उब्भामय भिक्खायरियाए वच्चंति / वेलइवाते दूरम्मि य गामे तस्स ठाविउमद्धं / अद्धं अडंति सो वि य, अद्धमडे तेहिं अडिते वा // 5613 // "वेलइवाते०" गाहा / कण्ठ्या / एयं अद्धाणे भणियं / इदाणिं अच्छंताणं भण्णति-परिहारिओ अणिगुहियबलवीर्यार्थम् उब्भामग भिक्खायरियाए वच्चइ / तत्थ ठिता ताव कियंतो ण वएइ, आगंतुं तम्मि आगंतुमसमत्थे ठवणा खेत्तस्स भवइ, खेत्तंतो हिंडइ, उब्भामय भिक्खायरियाए ण वच्चइ / एवं ठवणा खेत्तस्स पालणा दोण्हं ति अस्य व्याख्या-असुहस्स भत्तं पाणं कारणे जइ सो [परिहारि] खेत्ते हिंडितुं ण सक्केइ ताहे अणुपरिहारिओ भिक्खं हिंडित्ता पडिग्गहे से छुब्भइ, अणुपरिहारियस्स मंडलीउ दीज्जइ / अह अणुपरिहारिओ वि असत्तो हिंडिउं ताहे कप्पट्ठिओ देइ / जाहे कप्पट्ठिओ नत्थि ताहे गच्छे यो गीतत्थो सो देइ / एवं परिहारियस्स अणुपरिहारियस्स वि गच्छिल्लिया देंति / एवं दो वि पालिता सारक्खिया अणुकंपिया भवंति / असहुस्स भत्तदाणं कारणे इति वर्तते / 'पंथेव पत्ते व'त्ति परिहारिएणं अणिगुहियबलवीरिएणं होयव्वं ति काउं जइ उब्भामय भिक्खायरियाए एगओ हिंडिउं न चएइ असमुद्दिट्ठो जत्थ वा गओ तत्थ न फव्वइ२ ताहे अणुपरिहारिओ पडियागच्छंतस्स अंतरा पंथे भत्तपाणं णेउं देइ / अह गामं हिंडित्ता पदं पि गामाओ ण चएइ आगंतुं, ताहे अणुपरिहारिओ गामं चेव णेउं देइ / जइ अणुपरिहारियो असत्तो तो कप्पट्ठिओ, जो वा गच्छे गीतत्थो पंथे वा तत्थेवाणेउं देइ / एवं ताव असहुस्स पारिहारियस्स अणुपारिहारियस्स गच्छिल्लएहिं कारणे कयं / इदाणि परिहारिओ य गच्छिल्लयाणं कारणे जहा करेंति तं भण्णइ / 1. सु ड। 2. फव्वीह (लभ्) यथेष्ट लाभ प्राप्त करना (गु) फावq / (पासम 622) /