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तत्कालीन भारतीय सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनीतिक आदि परिस्थितियों पर प्रकाश डालने वाली सामग्री का भी इसमें बाहुल्य है। इन सब दृष्टियों से प्रस्तुत भाष्य का भारतीय साहित्य के इतिहास में निःसंदेह एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। जैन साहित्य के इतिहास के लिए इसका महत्त्व और भी महान् है, यह कहने की आवश्यकता नहीं। संघदासगणि क्षमाश्रमण का भारतीय साहित्य पर और विशेषकर जैन साहित्य पर महान् उपकार है कि जिन्होंने जैन आचार पर इस प्रकार के समृद्ध, सुव्यवस्थित एवं सर्वांगसुंदर ग्रंथ का निर्माण किया।
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