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________________ विसेसचुणि [ मासकप्पपगयं पढम-बितियकप्पसरिसा । छट्ठे दिवसे तइयकप्पसरीसा । सत्तमे दिवसे कप्पर ताए वीहीए हिंडिरं । ६४ अभिग्गहे दद्धुं करणं, भत्तोगाहिमग तिन्नि पूईयं । चोदग ! एगमणेगे, कप्पो त्ति य सत्तमे सत्त ॥१४०१॥ ‘अभिग्गहे दद्धुं० 'ति । जिणकप्पियअभिग्गहा दद्धुं । करणं ति आहाकम्मियकरणं । 'चोयग० " पच्छद्धं । चोयओ भणइ - किं तस्स परिज्ञानं नास्ति जओ छव्वीहीओ गामं करेइ ? आयरियो भणइ–एरिसो तस्स नाणविसओ । जेण जद्दिवसमेव कीरइ आहाकम्मं तद्दिवसमेव सो तं जाणइ, एसो तस्स आहाकप्पो । जं छव्वीहो गामं करेइ ताहे सत्तमे दीवसे पढमवीहीए हिंडइ । सत्तमे सत्तमं । जाए वीहीए आहाकम्मं कज्जइ तओ आरब्भ सा सत्तमा वीही पुणो आवज्जइ । तं दट्टं सा सड्ढी भणति 44 - अणगारं, सड्ढी संवेगमागया काइ । नत्थि महं तारिसयं, अन्नं जमलज्जिया दाहं ॥१४०२ ॥ सव्वपयत्तेण अहं, कल्लं काऊण भोअणं विउलं । दाहामि तुट्टमणसा, होहि मे पुण्णलाभो ति ॥ १४०३॥ फेडित वीही तेहिं, अणंतवरनाणदंसणधरेहिं । अण अपरितंता, बिइयं च पहिंडिया तहियं ॥ १४०४ ॥ पढमदिवसम्मि कम्मं, तिन्नि उ दिवसाइँ पूइयं होइ । पूतीसु तिसु न कप्पड़, कप्पति ततिओ जया कप्पो ॥ १४०५ ॥ बिइयदिवसम्मि कम्मं, तिन्नि उ दिवसाइँ पूइयं होइ । तिसु कप्पेसु न कप्पड़, कप्पति तं छट्ठदिवसम्मि || १४०६ ॥ कल्लं से दाहामी, ओगाहिमगं न आगतो अज्ज । तइयदिवसाइ तं होइ पूइयं कप्पए छट्ठे ॥ १४०७॥ एमेवोगाहिमगं, नवरं तइयदिवसे वि तं कम्मं । तिसु पूइयं न कप्पड़, कप्पइ तं सत्तमे दिवसे ॥ १४०८ ॥
SR No.007786
Book TitleKappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 01
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman
Author
PublisherShubhabhilasha Trust
Publication Year2016
Total Pages504
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bruhatkalpa
File Size3 MB
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