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________________ प्रकरण ९ : संधिविचार ई) आ + आ = आ : सिविया + आरूढ = सिवियारूढ, नावा + आरूढ = नावारूढ, चिंता + आउर = चिंताउर, कोइला + आलाव कोइला लाव, लज्जा + आइ = लज्जाइ, परंपरा + आगय = परंपरागय, जाला + आउल = जालाउल ( ज्वालाकुल) उ) इ, ई + इ, ई = ई : भूमि + ईसर = भूमीसर, सूरि + ईस सूरीस, कोडि + ईसर = कोडीसर, पुढवी + ईसर = पुढवीसर, मेइणी + ईसर मेइणीसर = १ ऊ) उ, ऊ + उ, ऊ = ऊ : गुरु + उवएस गुरूवएस, साहु + उवएस साहूवएस, बहु + उवसग्ग = बहूवसग्ग, भाणु + उदय = भाणूदय, बहू + ३ = = ई - इ : दूई + इत्थी = दूइत्थी, जइ + इच्छा मुणिंद. = उवयार = बहूवार क) वरीलप्रमाणे संधि होऊन आलेल्या आ, ई, ऊ पुढे संयुक्तव्यंजन वा अनुस्वार असल्यास त्यांचे अनुक्रमे अ, इ, उ, होतात. आ-अ : कोह + अग्गि = कोहग्गि, देस + अंतर = देसंतर, कोह+ अंध कोहंध. == - १६१ = = = ऊ उ : साहु + उत्त = साहुत्त, बाहु + उद्धरिय = बाहुद्धरिय १४० अ, आ पुढे ह्रस्व अथवा दीर्घ इ, ई व उ, ऊ असल्यास त्यांचा संधि अनुक्रमे ए व ओ होतो. १) धणेस, = परम अ + इ, ई = ए : राय + इसि = राएसि, वास (व्यास) + इसि = वासेसि, न + इच्छइ = नेच्छइ, मगह + ईस = मगहेस, धण + ईस + ईसर = परमेसर, दिण + ईस = दिणेस, जिण + ईसर = जिणेसर, + ईस = सुरेस, तुच्छ + ईहिय = तुच्छेहिय. सुर जइच्छा, मुणि + इंद कधी कधी इ पुढे इ असता एका इ चा लोप होऊन संधि इ झालेला आढळतो. जंसि + इमे = जंसिमे, संति + इमे = संतिमे (पिशेल, पृ. १३२) सुर १५.२४८ संस्कृतमधून आलेले असे संधि मराठीत आहेतच : दिनेश, महेश, उमेश, रमेश, परमेश्वर, शुद्धोदक, धर्मोपदेश, पुण्योदय इ.
SR No.007784
Book TitleArdhamagdhi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK V Apte
PublisherShrutbhuvan Sansodhan Kendra
Publication Year2015
Total Pages513
LanguageMarathi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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