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________________ www.vitragvani.com सम्यग्दर्शन : भाग-6 ] [141 4- जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, उसे अपने चैतन्य का चमत्कार भासित होता है । 5- जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, उसे जगत के किसी पदार्थ का आश्चर्य नहीं रहता । 6- जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, उसे सम्यग्दर्शन और ज्ञान होता है । 7- जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, उसे अपनी भव-अन्त की झनकार आ जाती है । 8 • जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, उसे ही अरिहन्त और सिद्ध की भक्ति होती है । 9- जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, उसे अपना पूर्ण आत्मा प्रतीति में आता है। 10- जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, उसने ही सर्वज्ञ की वाणी जानी है। 11- जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, उसे ही मोक्षतत्त्व की श्रद्धा होती है । 12- जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, वही सर्वज्ञ के मार्ग में आया है । 13- जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, वही अतीन्द्रिय सुख की श्रद्धा कर सकता है । 14- जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, वही जितेन्द्रिय-जैन हो सकता है। Shree Kundkund - Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.
SR No.007773
Book TitleSamyag Darshan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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