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सम्यग्दर्शन : भाग-6 ]
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4- जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, उसे अपने चैतन्य का चमत्कार भासित होता है ।
5- जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, उसे जगत के किसी पदार्थ का आश्चर्य नहीं रहता ।
6- जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, उसे सम्यग्दर्शन और ज्ञान होता है ।
7- जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, उसे अपनी भव-अन्त की झनकार आ जाती है ।
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• जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, उसे ही अरिहन्त और सिद्ध की भक्ति होती है ।
9- जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, उसे अपना पूर्ण आत्मा प्रतीति में आता है।
10- जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, उसने ही सर्वज्ञ की वाणी जानी है।
11- जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, उसे ही मोक्षतत्त्व की श्रद्धा होती है ।
12- जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, वही सर्वज्ञ के मार्ग में आया है ।
13- जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, वही अतीन्द्रिय सुख की श्रद्धा कर सकता है ।
14- जिसे सर्वज्ञता की अद्भुतता लगे, वही जितेन्द्रिय-जैन हो सकता है।
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