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वि० ४.
ज्ञानसाधन.
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वायार्थका संबंधी जो अन्य अर्थ तामें जो पदका संवध, सो जहती लक्षणा कहिये है । जैसे " गंगा में ग्राम है " या वाक्यमें गंगापदका वाच्य जो प्रवाह तांकूं त्यागिके ताका संबंधी जो तीर तामें गंगापदकी लक्षणा है । अथ अजहती लक्षणाः- वाच्यर्थको न त्यागि के वाच्यार्थका संबंधी जो अन्य अर्थ तामें जो पदका संबंध, सो अजहती लक्षणा कहिये है । 'यथा काकेभ्यो दधि रक्ष्यताम्' किसीने कहा 'काकते दधिकी रक्षा करना, सो मार्जारादिकोंते संरक्षण विना दधिकी रक्षा वने नहीं, याते काकपदका शक्य जो वायस पक्षी, ताके संबंधी जो दधि उपघातक मार्जारादि, ता काकपदकी लक्षणा है । अथ भागत्यागलक्षणाका स्वरूपः - शक्य अर्थके एक भागका परित्याग करिके शक्य अर्थके एक भाग में जो पदका संबंध सो भागत्याग लक्षणा कहिये है | जैसे प्रथम दृष्ट देवदत्तकं अन्य देशमे देखकर 'कहे, ' सो यह देवदत्त है'. तहां भागत्याग लक्षणा है; काहेते परोक्षदेश अतीत काल सहित देवदत्तशरीर सो