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विचारमाला.
अथ ज्ञानसाधनवर्णनं नाम चतुर्थविश्रामप्रारंभः ॥ ४ ॥
( ३९ ) पूर्व विश्राम में ज्ञान की सप्त भूमिका कही अब ज्ञानके साधन जानने की इच्छावाला हुआ शिष्य कहे है: - शिष्य उवाच ॥
वि०.४.
दोहा - भगवन् मै जान्यो भले, सप्तभूमिका ज्ञान ॥ निर्मल ज्ञान उद्योतकं साधन कौन प्रमान ॥ १ ॥
टीका:- हे भगवन्! ज्ञानकी सप्त भूमिका में भली प्रकार जानी है, अब समष्टि व्यष्टि उपाधिरूप मलसँ रहित शुद्धब्रह्मका जो ज्ञान, ताकी उत्पत्तिके साधन कौन हैं ? यह कहो । याका भाव यह हैं:- जिन साधनो ज्ञानमें अधिकार होवे सो प्रमाता मैं होणेवाले साधन कहो ? औ प्रमाण कहिये प्रत्यक्षादि षट् प्रमाणमैं किस प्रमाणजनित तत्वज्ञान कहा है ? यह कहो || १ || अब शिष्य, अपनी उक्ति हेतुकथनार्थ प्रथम हटांत कहे है:--