________________
अथ श्रीविचारमालाकी मार्गदर्शक अनुक्रमणिका..
-
-
प्रसंग अंक.
प्रथम विश्रामकी अनुक्रमणिका १.
शिष्यकी आशंका १-२३० विषय. टीकाकारकृत ममलाचरण... मूलग्रंथकारकृत मंगलाचरण. .... .... .... चारि मौनविष ज्ञानमौनका स्वरूप..... ..... .... कृतघ्नताकी निवृत्तिअर्थ गुरुस्तुति..... ..... शरणागत शिष्यको गुरुके प्रति प्रार्थना. ...... हृदयगत दुःखके हेतुका कथन. .... .... आसुरीगुण?विषै नदीका रूपक औ दुःखहेतुकथन. मनगत चंचलताळू दुःखकी हेतुता. .... ... चंचलताके हेतु संशयोंका कथन. .... .... ..... शिष्यके प्रश्नोंके उत्तरका आरंम. .... .... .... मनगत चंचलताकी निवृत्तिका उपाय. ... .... सुगम उपायके जाननेकी इच्छा करि शिष्यको प्रार्थना. गुरुकरि सुगम उपाय ( सत्संग ) का कथन. .... ग्रंथकारकरि गुरुका महिमा. ... .... ...
& man & and ....
0
2