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________________ CSCOCKOSES gacOOOOOOOOOOOOOOCDOCITICS अटोपनिषद्धाषा-फका. ४ (अर्थात् आठ उपनिपदोंका सुस्पष्ट शांकरभाष्यानुसार अर्थ है o और मनउपदेशक शब्द, अन्तर्मुखी रामायण, आत्म . स्तोत्राष्टक, जगविलास आदिका वर्णन.) ५. आजकल पेदांतके जितने ग्रंथ छपे और विना छपे नजर आते हैं उन हु सबका मुखियाआधारस्तंभ वेदका उपनिपझाग है. सो वे चारों वेदोंके । उपनिषद् एकसौ आठ १० ८ हैं, उनमेंसे ईश, केन, कठ, मुण्ड,माण्डूक्य, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छान्दोग्य और बृहदारण्यक ये दश ही उपनिषद् ५. मुख्य होनेसे इनपर श्रीमत्स्वामी शंकराचार्यजीने संस्कृतमें बोकेर लिये भोप्य किया है. परंतु वह भाष्य संस्कृतमें होनेके कारण सं*स्कृतसे अनजान लोगोंकी समझमें अच्छी तरह नहीं आता. और सभी ॐ वेदान्तग्रन्थों में सब जगह उपनिषद् मंत्रोंकाही उपयोग किया गया है, यह विचारकर शंकराचार्यजीने जो उपनिषद्-मंत्रोंका, पक्षपातको ५ र छोड़कर कर्मकाण्ड, उपासनाकाण्ड और ज्ञानकाण्ड विषे भाष्यरूप । • यथासंभव अर्थ किया है उसका आशय लेकर श्रीमत्परमहंस स्वामी हरिमकाशजीने ईश, कठ, केन, प्रश्न, मुण्ड, माण्डूक्य, तैत्तिरीय और ग्य-न-आठौं उपनिषदोंकी यथार्थ भाषा फका संक्षेपसे की है. वही "अटोपनिषदभाषा-फा" हमने सर्व साधारणके उपयोगके। ५ अर्थ अच्छे सुचिकण ग्लेज कागजपर छापी है और छोटे बड़े सबके । सुभीतके लिये कीमत भी बहुतही कम अर्थात् १ ॥) रुपया रक्खी है. डाक महसूल ४ आना. LOOOOOOCIEDOCOCOOOOOOOOOOOOOO REEDEDICATEDDDDDOOOK COCOCCSEKSCDCSCSCDCSCSEDKg
SR No.007743
Book TitleVicharmala Granth Satik Pustak 1 to 8
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnathdas Sadhu, Govinddas Sadhu
PublisherGujarati Chapkhana
Publication Year1832
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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