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अवधूत-गीता.
भाषाटीकासहिता. ए यह गीता अवधूतमुकुटमणि भगवदवतार श्रीमान सा भगवानने स्वयम् श्रीमुखसे कही है, इससे बढ़कर इसी बाजार नकताके विषयमें प्रवल प्रमाण क्या होसकता है ? यह " अवधूतगीता " संसारानलदग्ध, किंकर्तव्यविमूढ आत्मजिज्ञासुजनोंकी। पथदर्शिका है. इसमें अवधूतनायक श्रीगुरु दत्त भगवानने में अपनी अवधूतावस्थामें अनुभव किये हुए वेदान्तरहरटका ये गर्मस्पर्शी शब्दोंसे निरूपण किया है कि जिन ( ..
सुननेसे तत्काल शुद्ध बोध और सुदृढ वैराग्य उत्पन्न होजाता ह... है ऐसे अलभ्य पुस्तकको बड़े परिश्रमसे ढूंढकर सर्व साधारणके बोधार्थ ।
भाषाटोकासहित सुन्दर कागजपर सुवाच्य अक्षरोंमें छाएकर प्रा : शित किया है. आशा है कि सज्जन महाशय इसका रांगन का हमारे ६ अपार परिश्रमको सफल करेंगे, की० ६ आना, डा. ख, १ आ.!
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पुस्तक मिलनेका ठिकाना--- हरिप्रसाद भगीरथजी,
कालकादेवी रोड, रामवाड़ी-मुंबई.
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