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श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित
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मैं इच्छता हूं हे क्षमाश्रमण ! वंदन करने के लिए, सब शक्ति लगाकर व दोष त्याग कर मस्तक नमाकर मैं वंदन करता हूं । (१)
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( स्वाध्याय करनेके लिए गुरुसे आज्ञा लेना । )
इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! सज्झाय संदिसाहुं ? इच्छं
भगवंत, स्वाध्याय करनेकी आज्ञा दीजिए । आज्ञा मान्य है।
गुरुसे स्वाध्याय करनेकी परवानगी लेते है। सावद्य योगके पच्चक्खाणका यथार्थ पालन करने के लिए स्वाध्याय अनिवार्य है ।
देव - गुरुको पंचांग वंदन
इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसीहियाए, मत्थएण वंदामि ()
(१)
मैं इच्छता हूं हे क्षमाश्रमण ! वंदन करने के लिए, सब शक्ति लगाकर व दोष त्याग कर मस्तक नमाकर मैं वंदन करता हूं । (१)
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इच्छाकारेण संदिसह भगवन् सज्झाय करूं ? इच्छं
भगवंत, आज्ञा अनुसार स्वाध्याय करता हूं ।
(गुरुके पाससे स्वाध्याय करनेकी आज्ञा मिलते, ३ नवकार गीनकर स्वाध्याय शुरु करे )