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________________ ३२ श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित मैं इच्छता हूं हे क्षमाश्रमण ! वंदन करने के लिए, सब शक्ति लगाकर व दोष त्याग कर मस्तक नमाकर मैं वंदन करता हूं | (१) (अब बैठनेके लिए गुरुके पास आज्ञा लेना। ) इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! बेसणे संदिसाहुं ? इच्छं (१) भगवंत, बैठनेकी आज्ञा दे । आज्ञा मान्य है। (१) देव-गुरुको पंचांग वंदन इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसीहियाए, 5 मत्थएण वंदामि (१) मैं इच्छता हूं हे क्षमाश्रमण ! वंदन करने के लिए, सब शक्ति लगाकर व दोष त्याग कर मस्तक नमाकर मैं वंदन करता हूं | (१) इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! बेसणे ठाउं ? इच्छं भगवंत, आज्ञाके अनुसार सामायिकमें स्थिर होता हुं । देव-गुरुको पंचांग वंदन इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसीहियाए, मत्थएण वंदामि (१)
SR No.007740
Book TitleSamvatsari Pratikraman Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorIla Mehta
PublisherIla Mehta
Publication Year2015
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size28 MB
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