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श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित
(अब दोनो हाथोको जोडकर, ललाट पर रखकर 'जय वियराई ' सूत्र बोलना ।)
दोनो हाथों के जोड, ललाट पर रखकर सूत्र बोले परमात्मासे भक्ति फलरुप १३ प्रकारकी याचना
जय वीयराय ! जग गुरु ! होउ ममं तुह पभावओ भयवं !
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भव निव्वेओ मग्गाणुसारिआ इट्ठफल सिद्धि (१) लोग विरुद्धच्चाओ गुरु जण पूआ परत्थकरणं च । सुहगुरु जोगो तव्वयण सेवणा आभवमखंडा.
(२)
अब दोनों हाथोंको ललाट से नीचेकरके, हाथ ललाट और नाभिके बीच रखना
वारिज्जइ जइ वि नियाण बंधणं वीयराय ! तुह समये.
तह वि मम हुज्ज सेवा, भवे भवे तुम्ह चलणाणं. (३) दुक् खओ कम्म खओ,
समाहि मरणं च बोहि लाभो अ.
संपज्जउ मह एअं, तुह नाह ! पणाम करणेणं. (४) सर्व मंगल मांगल्यं, सर्व कल्याण कारणम्. प्रधानं सर्व धर्माणां, जैनं जयति शासनम् . (५)
हे वीतराग प्रभु ! हे जगद्गुरु ! आपकी जय हो ! हे भगवन् ! आपके प्रभाव से संसार के प्रति वैराग्य, (मोक्ष) मार्ग के अनुसार प्रवृत्ति, इष्ट फल की सिद्धि ...(मुझे प्राप्त हो) (१)
लोक विरुद्ध प्रवृत्ति का त्याग, गुरुजनोंके प्रति सन्मान, परोपकार