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श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित सरस्वतीदेवी, त्रिभुवन स्वामीनी देवी, श्रीदेवी, गणिपीटक, ग्रहो,
दिक्पाल, इन्द्रोका स्मरण वाणी तिहुअण सामिणि, सिरिदेवी जक्खराय गणिपिडगा, गह, दिसिपाल, सुरिंदा,
सया वि रक्खंतु जिणभत्ते। (४) श्री सरस्वतीदेवी, श्री त्रिभुवन स्वामीनी, श्री लक्ष्मीदेवी, यक्षराज गणिपिटक, ग्रहो, दिक्पालो, देवेन्द्रो नित्यकाल के लिए जिनेश्वर भगवंतोके भक्तोका रक्षण करो ।
सोलह विद्यादेवीओंका स्मरण रकखंतु मम रोहिणी, पन्नत्ती, वज्जसिंखला, य सया, वज्जंकुसी, चक्केसरी, नरदत्ता, काली, महाकाली, (५) रोहिणी, प्रज्ञप्ति, वजशृंखला, वजंकुशी, चक्केश्वरी, नरदत्ता, काली और महाकाली सदा मेरा रक्षण करो |
गोरी तह गंधारी, महजाला, माणवी, अ वइट्टा, अच्छुत्ता, माणसिआ, महामाणसिया, उ देवीओ। (६) और गौरी, गांधारी, महाज्वाला, मानवी, वैरोट्या, अच्छुप्ता, मानसी, महामानसी ये सोलह विद्यादेवीओं (सदा के लिए मेरा रक्षण करो।)
२४ शासन देवो/यक्षोका स्मरण जक्खा, गोमुह, महजख, तिमुह
तंबुरु, जखेस, कुसुमो, मायंग, विजय, अजिआ, बंभो, मणुओ, सुरकुमारो, (७)