SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 336
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित सरस्वतीदेवीको वंदन ॐ श्रीं ह्रीं धृति मति कीर्ति कान्ति बुद्धि लक्ष्मी मेघा विद्या साधन प्रवेश निवेशनेषु सुगृहित नामानो जयन्तु ते जिनेन्द्राः II (६) ॐ ह्री, धृति, मति, कीर्ति, कान्ति, बुद्धि, लक्ष्मी और मेधा इन नौ स्वरूपवाली सरस्वतीकी साधनामें, योगके प्रवेशमें तथा मंत्र जपके निवेशनमें जिनके नामोंका आदर-पूर्वक उच्चारण किया जाता है, वे जिनवर जयको प्राप्त हों (सान्निध्य करनेवाले हों) । (६) सोलह विद्यादेवी ओकी औरसे रक्षण ॐ रोहिणी, प्रज्ञप्ति, वज्रशृंखला, वजांकुशी, २८१ अप्रतिचक्रा, पुरुषदत्ता, काली, महाकाली, गौरी, गांधारी, सर्वास्त्रा-महाज्वाला, मानवी, वैरोट्या, अच्छुप्ता, मानसी, महामानसी षोडश, विद्यादेव्यो रक्षंतु वो नित्यं स्वाहा ॥ (७) ॐ रोहिणी, प्रज्ञप्ति, वज्रशृंखला, व्रजांकुशी, अप्रतिचक्रा, पुरुषदत्ता, काली, महाकाली, गौरी, गान्धारी, सर्वास्त्रमहाज्वाला, मानवी, वैरोट्या, अच्छुप्ता, मानसी और महामानसी ये सोलह विद्यादेवि तुम्हारा रक्षण करें । (७) श्री संघमें शांति, तुष्टि और पुष्टि हो ॐ आचार्यो, पाध्याय, प्रभृति, चातुर्वर्णस्य श्री श्रमणसंघस्य शांतिर्भवतु, तुष्टिर्भवतु पुष्टिर्भवतु II (2)
SR No.007740
Book TitleSamvatsari Pratikraman Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorIla Mehta
PublisherIla Mehta
Publication Year2015
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy