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श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित
शांतिके भंडार चौबीस तीर्थंकर परमात्मा ॐ ऋषभ, अजित, संभव, अभिनंदन, सुमति, पद्मप्रभ, सुपार्श्व, चन्द्रप्रभ, सुविधि, शीतल,
श्रेयांस, वासुपूज्य,विमल,
अनंत, धर्म, शांति, कुन्थु, अर, मल्लि, मुनिसुव्रत, नमि, नेमि, पार्श्व,
वर्द्धमानान्ता जिनाः शान्ताः
शान्तिकरा भवन्तु स्वाहा ।। (४) ॐ ऋषभदेव, अजितनाथ, सम्भवनाथ, अभिनन्दनस्वामी, सुमतिनाथ, पद्मप्रभ, सुपार्श्वनाथ, चन्द्रप्रभ, सुविधिनाथ, शीतलनाथ, श्रेयांसनाथ, वासुपूज्यस्वामी, विमलनाथ, अनन्तनाथ, धर्मनाथ, शान्तिनाथ, कुन्थुनाथ, अरनाथ, मल्लिनाथ, मुनिसुव्रतस्वामी, नमिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ और वर्धमानस्वामी जिनमें अन्तिम हैं, ऐसे चौबीस उपशांत जिन हमें शान्ति प्रदान करनेवाले हों |स्वाहा । (४)
भावना बलसे-सदाके रक्षक मुनि महात्माओं । ॐ मुनयो मुनिप्रवरा रिपुविजय दुर्भिक्ष कान्तारेषु
दुर्ग मार्गेषु रक्षन्तु वो नित्यं स्वाहा ।। (५) ॐ शत्रुओं द्वारा किये गये विजय-प्रसंगमें (प्राण धारण करनेके प्रसंगमें), गहन-अटवीमें (प्रवास करनेके प्रसंगमें) तथा विकट मार्गमे प्रयाण करते समय मुनियोंमें श्रेष्ठ ऐसे मुनि तुम्हारा नित्य रक्षण करें |स्वाहा । (५)