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श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित
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अ हो का यं
काय संफासं प खमणिज्जो भे ! किलामो ?
___(३-शरीरयात्रा पृच्छा स्थान) अप्प किलंताणं ! बहु सुभेण भे ! संवच्छरो वइक्कतो
___(४- संयमयात्रा पृच्छा स्थान) An era ज त्ता भे (४)
(५-त्रिकरण सामर्थ्यकी पृच्छा स्थान) ज व णि जं च भे (५) __ (६-अपराध क्षमापना स्थान)
खामेमि खमासमणो ! संवच्छरीअं वइक्कम (६)
पडिक्कमामि, खमासमणाणं, संवच्छरीआए आसायणाए तित्तीसन्नयराए, जं किंचि मिच्छाए, मण दुक्कडाए, वय दुक्कडाए, काय दुक्कडाए, कोहाए, माणाए, मायाए, लोभाए,
सव्वकालिआए, सव्वमिच्छो वयाराए,
सव्वधम्माइक्कमणाए आसायणाए जो मे अइयारो कओ, तस्स खमा-समणो ! पडिक्कमामि, निंदामि, गरिहामि,
अप्पाणं वोसिरामि (७) हे क्षमाश्रमण ! (अन्य व्यापारो का त्याग करके, शक्ति के अनुसार, मैं वंदन करना चाहता हूँ | मुझे अवग्रह में प्रवेश करने