________________
१२२
श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित
(६- अपराध क्षमापना स्थान)
खामेमि खमासमणो ! संवच्छरीअं वइक्कमं (६) आवस्सि आए
(अवग्रहमें से बहार नीकलकर, फिरसे आनेका भाव दर्शानेके लिए शरीरको थोडा पीछे करे)
पडिक्कमामि, खमासमणाणं,
संवच्छरीआए आसायणाए तित्तीसन्नयराए, जं किंचि मिच्छाए, मण दुक्कडाए, वय दुक्कडाए, काय दुक्कडाए, कोहाए, माणा, मायाए, लोभाए, सव्वकालिआए, सव्वमिच्छो वयाराए,
सव्वधम्माइक्कमणाए आसायणाए जो मे अइयारो कओ, तस्स खमासमणो !
पडिक्कमामि, निंदामि, गरिहामि,
अप्पाणं वोसिरामि
(७)
दुसरा वंदन (१ - इच्छा निवेदन स्थान)
इच्छामि खमासमणो !
वंदिउं जावणिज्जाए, निसीहिआए (१)
(२- अनुपज्ञापन स्थान )
अणुजाणह मे मिउग्गहं, (२) निसीहि (गुरुके अवग्रहमें प्रवेश कर रहे हे ऐसा भाव दर्शानेके लिए शरीरको थोडा आगे करे )